
तीन दिन पहले रेटिना सर्जन ने छोड़ी नौकरी (Photo source- Patrika)
CG Medical College: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध आंबेडकर अस्पताल में रेगुलर व संविदा डॉक्टर लगातार नौकरी छोड़कर जा रहे हैं। तीन दिन पहले महिला रेटिना सर्जन नौकरी छोड़कर चली गईं। पिछले 8 साल से वे संविदा में एसोसिएट प्रोफेसर थीं। प्रमोशन नहीं होने का हवाला देकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
पिछले 3 सालों में कॉलेज के 60 से ज्यादा डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी है। इसमें संविदा ज्यादा है। इनमें एसो. प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर व जूनियर रेसीडेंट शामिल हैं। डॉक्टरों के इस्तीफे से मरीजों का इलाज तो प्रभावित होता है, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बात से कोई मतलब नहीं है, कौन इस्तीफा दे रहा है?
डॉक्टरों के इस्तीफे से न केवल मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि एमबीबीएस तथा एमडी-एमएस कोर्स की मान्यता पर भी असर पड़ेगा। रेटिना सर्जन डॉ. अमृता वर्मा के पहले सीनियर रेटिना सर्जन डॉ. संतोष पटेल पिछले साल नौकरी छोड़कर चले गए हैं। विभाग में दो रेटिना सर्जन बाकी हैं, लेकिन अनुभवी डॉक्टरों के जाने से इलाज पर असर पड़ रहा है।
हाल में बायो केमेस्ट्री के एचओडी डॉ. पीके खोडियार व जनरल सर्जरी के एसो. प्रोफेसर डॉ. एसएन गोले ने नौकरी छोड़कर निजी कॉलेज ज्वाइन किया है। दूसरी ओर, कार्डियोलॉजी में दो व कार्डियक सर्जरी में एक नए असि. प्रोफेसर आए हैं। कार्डियक एनेस्थेटिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थोपीडिक सर्जन, जनरल सर्जन व पीडियाट्रिशियन नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन की नजरों में रेगुलर व संविदा डॉक्टरों की सेवा में कोई अंतर नहीं है।
हैड काउंटिंग में उनका बराबर महत्व है। दो साल पहले जनरल मेडिसिन व जनरल सर्जरी विभाग में पीजी की 2-2 सीटें कम हो चुकी हैं। यही नहीं, पिछले साल सिम्स में एमबीबीएस की 30 सीटें कम कर दी गई थी। एनएमसी ने यह कदम पर्याप्त फैकल्टी, जरूरी सुविधाएं नहीं होने के कारण किया है। नेहरू मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेसीडेंट की भारी कमी है।
डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस अच्छी और निजी अस्पताल चलाना।
संविदा डॉक्टरों को नियमित करने की योजना नहीं।
संविदा व रेगुलर डॉक्टरों का समय पर प्रमोशन नहीं।
अब 10 कॉलेज, इसलिए रेगुलर को ट्रांसफर का डर।
सरकारी की तुलना में निजी में ज्यादा वेतन मिल रहा।
नॉन प्रैक्टिस अलाउंस का विवाद भी, जिसमें शपथपत्र की बात।
पद नहीं होने से प्रमोशन की संभावना कम।
संविदा को रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं।
संविदा को समर वेकेशन व अन्य सुविधाएं नहीं मिलना।
CG Medical College: मेडिकल कॉलेजों में डीन भी वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ चुके हैं। पिछले तीन साल के भीतर महासमुंद के डीन रहे डॉ. पीके निगम व नेहरू मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. आभा सिंह ने वीआरएस ले लिया था। यही नहीं, मई में मेडिसिन की एचओडी डॉ. देवप्रिया लकड़ा ने भी वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया था, लेकिन मन बदलने के बाद उन्होंने तकनीकी पेंच में नया आवेदन नहीं किया। हाल में जनरल सर्जरी की एचओडी डॉ. मंजू सिंह ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया है।
एक प्रोफेसर तीन पीजी छात्रों का गाइड होता है। वहीं, एक एसोसिएट प्रोफेसर दो छात्रों का गाइड रहता है। ऐसे में सीनियर डॉक्टरों के इस्तीफे से पीजी सीटों पर खतरा तो रहता है। जनरल मेडिसिन व जनरल सर्जरी विभाग इसका उदाहरण भी है। दरअसल, जिन्हें टीचिंग में रुचि हो वे ही मेडिकल कॉलेज में टिक रहे हैं।
Updated on:
04 Jul 2025 10:54 am
Published on:
04 Jul 2025 10:53 am
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