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CG Medical College: हाईकोर्ट में सुनवाई आज, शासन ने चिकित्सा शिक्षा विभाग की सभी कार्रवाई रोकी

CG Medical College: एनआरआई कोटा बना जी का जंजाल.. अब 24 से पहले प्रवेश ले चुके एनआरआई कोटे के 48 छात्राें के दस्तावेजों की जांच होगी।

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CG News

CG Medical College: पीलूराम साहू/एनआरआई कोटे के विवाद में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारी पीसने लगे हैं। महाधिवक्ता कार्यालय ने 24 सितंबर के पहले प्रवेश को मान्य किया था। इसके बावजूद डर ऐसा है कि सोमवार को कमिश्नर किरण कौशल ने डीन को पत्र लिखकर पहले राउंड में प्रवेश ले चुके 48 एनआरआई छात्रों की जांच कर सभी दस्तावेज भेजने का फरमान जारी किया है।

CG Medical College: सरकारी मेडिकल कॉलेज में दस्तावेजों की जांच

दूसरी ओर इस मामले में हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। तब तक चिकित्सा शिक्षा विभाग को आगामी सभी कार्रवाई रोकने को कहा गया है। यानी किसी छात्र का एडमिशन रद्द नहीं किया जाएगा और न ही मापअप राउंड की आवंटन सूची जारी की जाएगी। प्रदेश के 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे का विवाद शासन के लिए जी का जंजाल बन गया है।

24 सितंबर के पहले यानी पहले राउंड में 48 व दूसरे राउंड में 45 छात्रों ने प्रवेश लिया है। दूसरे राउंड में प्रवेशित छात्रों के दस्तावेजों की जांच सोमवार को पूरी हो गई। 19 से 21 अक्टूबर तक नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर व दुर्ग स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में दस्तावेजों की जांच की गई। इनमें 19 अक्टूबर को रायपुर में केवल दो छात्र दस्तावेज सत्यापन कराने के लिए पहुंचे, लेकिन वे जांच कराए बिना लौट गए। दुर्ग में भी कोई नहीं आया।

आला अधिकारी एनआरआई विवाद से अपने को बचा रहे

21 अक्टूबर तक दस्तावेज जांच के बाद दूर के रिश्तेदारों को एनआरआई नहीं मानने व ऐसे प्रवेश को रद्द करने को कहा गया था। अब चूंकि कोई छात्र दस्तावेज कराने नहीं पहुंचे, ऐसे में नियमानुसार उनका एडमिशन रद्द किया जा सकता है। लेकिन हाईकोर्ट में सुनवाई को देखते हुए ऐसा कोई भी कदम उठाने से मना किया गया है।

बताया जा रहा है कि एजी ने ऐसी राय शासन को दी है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि संचालनालय के आला अधिकारी एनआरआई विवाद से अपने को बचाए रखना चाहते हैं इसलिए प्रवेश मान्य करने के बाद भी पहले राउंड में प्रवेशित छात्रों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यानी हर कदम फूंक-फूंककर उठाया जा रहा है।

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट का बताने से गफलत

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताने से प्रदेश में गफलत की स्थिति पैदा हो गई है। पैरेंट्स ने इसी को आधार बनाते हुए तीन बिंदुओं पर शासन के आदेश को चुनौती दी है।

पत्रिका के पास सुप्रीम कोर्ट का वो आर्डर है, जिसमें पंजाब सरकार की याचिका को सुनने से ही इनकार कर दिया है यानी केस को ही खारिज कर दिया है। इसमें सीजेआई समेत दूसरे जज ने दूर के रिश्तेदारों को एनआरआई कोटे से एडमिशन को बिजनेस व फर्जीवाड़ा भी करार दिया है।

बड़ा सवाल ये है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के केस को खारिज कर दिया तो इसे सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्यों बताया जा रहा है? राज्य शासन ने भी सिविल रिट पिटीशन नंबर 20788 ऑफ 2024 को सुप्रीम कोर्ट का केस बता दिया है। (CG Medical College) पैरेंट्स व छात्रों के अनुसार इसकी गलत व्याख्या की है। इस मामले में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन का आदेश भी त्रुटिपूर्ण बताते हुए केस दायर किया गया है।

31 तक होगा एडमिशन इसके बाद सीटें लैप्स

CG Medical College: एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर तक है। तब तक शासन को इस मामले को सुलझाना होगा। चूंकि मामला हाईकोर्ट में चला गया है इसलिए इसे अर्जेंट केस के रूप में लिया गया है इसलिए सुनवाई केस दायर करने के अगले दिन हो रही है।

जानकारों के अनुसार इस मामले में हाईकोर्ट का रूख ही एनआरआई कोटे की दिशा तय करेगा। कोर्ट ने छात्रों के पक्ष में फैसला दिया तो विवाद खत्म हो जाएगा। शासन के पक्ष में फैसला आया तो छात्र सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं या विवाद भी बढ़ सकता है।