
CG Medical News: पीलूराम साहू/छत्तीसगढ़ के रायपुर में डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आने वाले कुछ दिनों में झुलसे हुए व दुर्घटना में छिली हुई स्किन को ठीक करने के लिए प्लेसेंटा की एमनियन झिल्ली का उपयोग करेंगे।
CG Medical News: प्लेसेंटा महिला की डिलीवरी के समय निकलता है। एमनियन झिल्ली इसका एक भाग होता है। पर्याप्त मात्रा में स्किन दान में नहीं मिलने के कारण विभाग ने योजना बनाई है। इसके लिए एसओपी तैयार किया जा रह है, जिससे आने वाले दिनों में प्लेसेंटा की झिल्ली का उपयोग किया जा सके।
CG Medical News: डीकेएस में पिछले साल अप्रैल में स्किन बैंक शुरू हुआ था। पिछले डेढ़ साल में महज 14 स्किन दान में मिली है। ये जरूरत का 5 फीसदी भी नहीं है। नियमित स्किन नहीं मिलने से विभाग ने ये योजना बनाई है ताकि आग से झुलसे लोगों व दुर्घटना में स्किन खोने वाले मरीजों में स्किन ट्रांसप्लांट किया जा सके। प्लेसेंटा के एमनियन का उपयोग पुराने व न भरने वाले घावों या देरी से भरने वाले घावों को ठीक करने के लिए किया जाता है।
यही नहीं जलने, पुराने अल्सर या अन्य स्किन संबंधी समस्या को दूर करता है। प्लेसेंटा वह अंग होता है, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को मां से जोड़ता है। मां से भ्रूण तक पोषक तत्वों व ऑक्सीजन की सप्लाई, कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है। प्लेसेंटा भ्रूण द्वारा उत्पादित अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए भी जिम्मेदार है।
सीजेरियन व नॉर्मल डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा को फेंक देते हैं। आंबेडकर अस्पताल में रोजाना औसतन 20 से ज्यादा डिलीवरी होती है। वहीं जिला अस्पताल में भी 8 से ज्यादा डिलीवरी होती है। डॉक्टरों के अनुसार एक प्लेसेंटा एमनियन से 5 से 6 फीसदी झुलसी हुई स्किन को ठीक किया जा सकता है। यानी स्किन ट्रांसप्लांट के लिए एक तरह से स्किन की कमी दूर हो जाएगी। डॉक्टरों के अनुसार एसओपी तैयार करने के बाद व शासन से अनुमति मिलने के बाद प्लेसेंटा एमनियन से स्किन ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा।
डीकेएस अस्पताल में पिछले डेढ़ साल में 6 मरीजों का स्किन ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। औसतन तीन माह में एक स्किन ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार केडेवर बॉडी से केवल 10-15 फीसदी स्किन ही निकालते हैं और इतना ही ट्रांसप्लांट करते हैं। इससे ट्रांसप्लांट की सफलता की संभावना बढ़ जाती है। डोनेशन के बाद इसे किसी व्यक्ति के उपयोग के लायक बनाने में 30 से 35 दिन लगता है।
स्किन का कल्चर टेस्ट कराया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट आने में ही 72 घंटे लगते हैं। यह इसलिए कराते हैं, जिससे पता चलता है कि स्किन में कहीं बैक्टीरिया का संक्रमण तो नहीं है। संक्रमण नहीं होने पर इसे स्किन बैंक के उस सेक्शन में रखा जाएगा, जिसे दूसरे मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
प्लास्टिक सर्जरी डीकेएस अस्पताल एचओडी डॉ. दक्षेश शाह ने कहा की प्लेसेंटा के एमनियन से स्किन ट्रांसप्लांट की योजना है। अभी प्लेसेंटा को डिलीवरी के बाद फेंक दिया जाता है। स्किन ट्रांसप्लांट में प्लेसेंटा का सदुपयोग होने लगेगा। एसओपी तैयार किया जा रहा है। सभी तैयारी होने के बाद प्लसेंटा से स्किन ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा। स्किन डोनेशन कम हो रह है इसलिए ये योजना बनाई गई है।
Updated on:
03 Nov 2024 03:59 pm
Published on:
03 Nov 2024 08:17 am
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