8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG Medical Scam: रायपुर मेडिकल कॉलेज में बड़ा घोटाला, खा गए 1.65 करोड़ रुपए, जानें पूरा मामला

Scam in CG Medical College: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज स्थित सिकलसेल संस्थान में 1.65 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। यही नहीं कर्मचारियों की नियुक्ति में भी मनमानी की गई थी।

3 min read
Google source verification
raipur_medical_college.jpg

Raipur news पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज स्थित सिकलसेल संस्थान (Sicklecell Institute) में 1.65 करोड़ रुपए का घोटाला (Scam) हुआ था। यही नहीं कर्मचारियों की नियुक्ति में भी मनमानी की गई थी। चिकित्सा शिक्षा विभाग (Medical Education Department) की जांच में संस्थान के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल व वर्तमान में पैथोलॉजी विभाग (Pathology Department) के एचओडी डॉ. अरविंद नेरल को मामले में दोषी पाया गया था। जांच रिपोर्ट के साथ डीएमई कार्यालय ने डॉ. नेरल के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी।

यह फाइल अप्रैल 2022 में शासन के पास भेजी गई थी, लेकिन फाइल दबी रह गई। जबकि इस मामले में तीन कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया था। स्थिति ये है कि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के बजाय बहाली हो गई है। यहां तक सस्पेंशन अवधि का वेतन भी देना पड़ा है। सिकलसेल संस्थान (Sicklecell Institute) में 2017-18 से 2021-22 तक 1.65 करोड़ की खरीदी केवल कोटेशन के अनुसार किया गया। जबकि छग क्रय भंडार नियम के अनुसार एक लाख से ऊपर की खरीदी पर टेंडर अनिवार्य है। यहां तो कोरोनाकाल जैसी कोई इमरजेंसी भी नहीं थी। आरोप है कि भ्रष्टाचार करने के लिए ऐसा किया गया।

यह भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस जल्द करेगी उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी, दीपक बैज समेत इन दिग्गज नेताओं के नाम रेस में शामिल...

डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने अप्रैल 2022 में शासन को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। उन्हीं के पत्र के आधार पर प्रशिक्षण समन्वयक आनंददेव ताम्रकार, प्रशिक्षण अधिकारी ज्योति राठौर व स्टोर कम मेंटेनेंस आफिसर पंकज कुमार उपाध्याय को सस्पेंड किया गया था, लेकिन डॉ. नेरल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। सभी से रिकवरी का आदेश भी दिया गया था।

हाल ही में शासन ने कोरोनाकाल में बिना टेंडर कोटेशन से लैब सामग्री व उपकरण खरीदने पर तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर और डीडीओ डॉ. निर्मल वर्मा के खिलाफ आरोपपत्र जारी किया गया है। विधानसभा में एक विधायक के सवाल उठाने पर उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया है। सवाल उठता है कि क्या शासन विधानसभा में सवाल पूछे जाने पर ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। क्या विधायक के सवाल पर कार्रवाई की गारंटी है। सिकलसेल संस्थान के घोटाले में आरोपी पर कार्रवाई नहीं होने से यही सवाल उठ रहे हैं।

जांच रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि आरोपियों ने दूसरे मद का फंड दूसरे कार्यों के लिए कर दिया। पत्रिका के पास जांच रिपोर्ट के दस्तावेज हैं। यहां तक कि महंगे कंपनी विशेष के कंप्यूटर व लैपटॉप तक खरीदा गया। जांच की मुख्य बिंदुओं में 2017 से 2021 तक यानी 5 साल में खरीदी, भर्ती व नियुक्तियों को शामिल किया गया था। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि प्रदेशभर के सभी जिलों में जाकर सैंपल सर्वे के लिए 1.65 करोड़ रुपए जारी हुए।

इस फंड का उपयोग सर्वे के बजाय गार्डन, बाथरुम की टाइल्स लगाने व अन्य काम करवाए गए। लाखों की मशीनें खरीदी, जिनका इस्तेमाल ही नहीं हुआ। संस्थान के महानिदेशक ने स्वयं व पत्नी के नाम से संचालित लैब के ब्लड सैंपल को संस्थान के लैब में जांच करवाई गई। स्टोर कीपर के बारे में कहा गया है कि फर्जी तरीके से डिप्लोमा-डिग्री हासिल कर लिया गया है। विश्व सिकलसेल दिवस पर जून 2019 में स्टोर आफिसर ने फर्जी तरीके से टोपी, टी शर्ट व अन्य सामानों के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपए एक खास फर्म को भुगतान किया गया।


शिकायत के बाद मामले की हाई पावर कमेटी से जांच करवाई गई थी। जांच रिपोर्ट शासन के पास पहले ही भेजा जा चुका है। -डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई

मुझे आरोपपत्र नहीं मिला है। मामला पुराना है। जो आरोप लगे थे, वे सही नहीं थे। कार्रवाई की अनुशंसा की जानकारी नहीं है। -डॉ. अरविंद नेरल, तत्कालीन डायरेक्टर जनरल सिकलसेल संस्थान

यह भी पढ़ें: अब प्रदूषण से जल्दी मिलेगी मुक्ति, IIT Bhilai धुएं से बनाएगा प्लास्टिक