
CG News: स्वास्थ्य बीमा कराने के बाद भी कंपनी ने क्लेम नहीं दिया। उल्टे अस्पताल जाकर कोविड का उपचार कराने पर सवाल उठाते हुए कहा कि होम क्वारंटाइन से घर बैठे ही ठीक हो जाते। बिना वजह अस्पताल जाने की जरूरत ही नहीं थी। अनूठा तर्क दिए जाने और बीमा पॉलिसी लेने के बाद भी क्लेम नहीं देने पर पक्षकारों ने जिला फोरम में परिवाद लगाया।
साथ ही बताया कि नियमानुसार उन्होंने चोला एमएस जनरल और स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। पाॅलिसी खरीदने के बाद रकम का भुगतान किया। डॉक्टर की सलाह पर ही अस्पताल में भर्ती हुए थे। उपचार के बाद स्वस्थ्य होने पर दस्तावेजी साक्ष्य और बिल के साथ क्लेम किया था।
दोनों ही पक्षकारों के परिवाद को अधिवक्ता राजेश भावनानी द्वारा जिला फोरम में पेश किया गया। जहां जिला फोेरम के अध्यक्ष डाकेश्वर प्रसाद शर्मा सदस्य निरूपमा प्रधान और अनिल कुमार अग्निहोत्री ने प्रकरण की सुनवाई की। साथ ही दोनों ही पक्षकारों को 6 फीसदी ब्याजदर के साथ 2 लाख 57323 रुपए देने और 30 हजार रुपए मानसिक प्रताडऩा और वाद व्यय का देने का फैसला सुनाया।
चोला एमएस जनरल इंश्योरेंस रायपुर के पंडरी शाखा से कमल वीरवानी (46) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदी। इसकी अवधि14 अगस्त 2020 से 10 मई 2021 तक थी। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में कोरोना रक्षक पॉलिसी से नियमानुसार कवर्ड थी। कोविड होने पर जांच कराने के बाद डाक्टर की सलाह पर ग्वालियर स्थित अस्पताल निजी अस्पताल में भर्ती हुए। ठीक होने पर क्लेम किया।
स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के राजेन्द्र नगर स्थित ब्रांच से कांकेर निवासी भावना बुधवानी (50) ने स्वयं और पति के नाम पर संयुक्त रूप से बीमा लिया। इसकी अवधि 27 सितंबर 2020 से 26 सितंबर 2021 तक थी। तबियत खराब होने पर जांच कराने के बाद रायपुर के अस्पताल में 8 से 14 अप्रैल 2021 तक भर्ती रही। उपचार के बाद स्वस्थ्य होने पर बीमा कंपनी में क्लेम किया। लेकिन, गंभीर रुप से बीमार नहीं होने और घर पर ही उपचार कराने से ठीक होने का हवाला देते हुए क्लेम को खारिज कर दिया।
फोरम के अध्यक्ष और सदस्यों ने दोनों ही प्रकरणों की सुनवाई करते हुए कहा कि बीमा कंपनी ने सेवा में निम्नता बरती है। उनके अनुचित व्यवहार के कारण बीमा कराने वालों को परेशानी हुई है। जबकि दोनों डाक्टर और विशेषज्ञों के निर्देश पर जांच कराने के बाद उनके सलाह पर अस्पताल में भर्ती हुए थे। डाक्टरों की सलाह और परामर्श को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती किया जाना है या नहीं इसकी निर्णय डॉक्टर ही कर सकता है। इस पर संदेह नहीं किया जा सकता है। इसमें लापरवाही बरतने पर किसी भी तरह की अनहोनी हो सकती थी।
इसे देखते हुए कमल को 1 लाख 50 हजार रुपए 21 सितंबर 2021 से अदायगी तक 6 फीसदी ब्याज के साथ देने और 15000 रुपए वाद व्यय और मानसिक परेशानी के एवज में देने। इसी तरह भावना को 1 लाख 7323 रुपए 22 जून 2022 से भुगतान किए जाने तक 6 फीसदी ब्याज के साथ और 15000 रुपए 15000 रुपए वाद व्यय और मानसिक परेशानी के एवज में देने का फैसला सुनाया। उक्त दोनों ही रकम का भुगतान 45 दिन के भीतर अदा करने का निर्देश दिया।
Updated on:
10 Mar 2025 11:46 am
Published on:
10 Mar 2025 11:45 am
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