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गर्भाशय कांड चर्चित… सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी डॉक्टरों ने पैसे के लालच में महिलाओं के निकाल डाले गर्भाशय

CG News: आदेश में कहा गया था कि हिस्टेरेक्टॉमी की मॉनीटरिंग के लिए बनी कमेटी की हर 6 माह में बैठक होगी। इसमें जिलेवार मिले केस के आंकड़ों की समीक्षा की जानी थी।

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गर्भाशय कांड चर्चित (Photo source- Patrika)

गर्भाशय कांड चर्चित (Photo source- Patrika)

CG News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रदेश में अनावश्यक गर्भाशय निकालने (हिस्टेरेक्टॉमी) की सर्जरी की मॉनीटरिंग नहीं हो रही है। यह आदेश केवल कागजों में सिमटकर रह गया है। पिछले साल जुलाई में एसीएस हैल्थ की अध्यक्षता में 16 सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति बनाई गई थी। प्रदेश में गर्भाशय कांड हो चुका है। कुछ डॉक्टरों ने पैसे के लालच में कैंसर का भय दिखाकर महिलाओं के गर्भाशय तक निकाल डाले।

CG News: मरीज की सहमति भी जरूरी

हालांकि इस घटना के बाद अनावश्यक सर्जरी में कमी आई है, लेकिन जानकारों के अनुसार अभी भी कुछ डॉक्टर इसमें लिप्त हैं। आदेश में कहा गया था कि हिस्टेरेक्टॉमी की मॉनीटरिंग के लिए बनी कमेटी की हर 6 माह में बैठक होगी। इसमें जिलेवार मिले केस के आंकड़ों की समीक्षा की जानी थी। आंकड़ों को देखकर ये बता लगाया जा सकेगा कि कहीं महिलाओं के गर्भाशय अनावश्यक तो नहीं निकाले जा रहे हैं।

सरकारी व निजी अस्पतालों में सर्जरी करने वाले डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी रखने की योजना बनाई गई थी ताकि हिस्टेरेक्टॉमी की गाइडलाइन के बारे में बताया जा सके। पत्रिका ने डॉक्टरों से बातचीत की तो पता चला कि अनियंत्रित ब्लीडिंग, भयानक दर्द, कैंसर की आशंका हो, तभी गर्भाशय निकालना चाहिए। महिला की उम्र 40 साल से ज्यादा हो। ऐसी स्थिति में गर्भाशय निकाला जा सकता है। इसमें मरीज की सहमति भी जरूरी है।

डॉक्टरों ने योजना का गलत तरीके से उठाया फायदा

CG News: हालांकि कुछ डॉक्टरों का दावा है कि कई बार महिलाएं परेशान होकर गर्भाशय निकालने खुद ही कहती हैं। 2011-12 में अभनपुर क्षेत्र व राजधानी के कुछ गायनेकोलॉजिस्ट और जनरल सर्जन कैंसर का भय दिखाकर महिलाओं का गर्भाशय निकाल रहे थे। तब यह राष्ट्रीय व मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के पैकेज में शामिल था।

पैसे के लालच में कुछ डॉक्टरों ने ऐसे केस को अंजाम दिया था। उसके बाद से स्वास्थ्य स्मार्ट कार्ड से निजी अस्पतालों के पैकेज से बाहर कर दिया गया। कुछ ऐसे ही सिजेरियन डिलीवरी, मोतियाबिंद व दांत के इलाज को पैकेज से बाहर कर दिया गया। इसमें भी कई डॉक्टरों ने योजना का गलत तरीके से फायदा उठाया और करोड़ों रुपए कमाए।

समिति में इन्हें किया गया था शामिल

CG News: एसीएस हैल्थ, कमिश्नर हैल्थ व मेडिकल एजुकेशन, डायरेक्टर हैल्थ व मेडिकल एजुकेशन, डायरेक्टर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, एमडी एनएचएम, डिप्टी डायरेक्टर मेटरनिटी प्रोग्राम, डिप्टी डायरेक्टर परिवार कल्याण, डिप्टी डायरेक्टर नर्सिंग होम एक्ट, डिप्टी डायरेक्टर एमसीडी, डिप्टी डायरेक्टर एसएनए, रजिस्ट्रार छग मेडिकल काउंसिल, एचओडी गायनी नेहरू मेडिकल कॉलेज व कुछ अन्य समिति में शामिल थे।