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CG News: 5 साल में मेडिकल कॉलेज को मिला 31 करोड़ का फंड, पहले हर वर्ष मिलता था 25 करोड़…फिर भी सुविधाएं बेहाल

Chhattisgarh News: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को पहले के वर्षों में औसतन हर साल 25 करोड़ या इससे ज्यादा फंड मिलता रहा है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद बजट में ऐसी कटौती की गई कि जिसका अंदाजा किसी को नहीं था।

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CG News: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को पिछले पांच सालों में नई मशीनें, उपकरण व मेंटेनेंस के लिए महज 30.95 करोड़ रुपए मिले। इसमें भी ढाई करोड़ रुपए केंद्र सरकार से मिले। एक साल का औसत निकाला जाए तो यह राशि 6.25 करोड़ रुपए होती है। इतनी कम राशि मिलने का असर ये रहा कि नई मशीनें नहीं खरीदी जा सकी।

इनमें ज्यादातर राशि मेंटेनेंस में खर्च हो गई। इसके बाद भी एमआरआई, सीटी सिम्युलेटर, सीटी इंजेक्टर, चार एक्सरे, थ्रीडी इको, सी-आर्म मशीन खराब पड़ी है। सीटी स्कैन मशीन भी आए दिन खराब हो रही है। कई मशीनों के खराब होने के कारण मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच करानी पड़ रही है। इससे उन्हें 400 से 8500 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

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नेहरू मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध अस्पताल को मशीन, उपकरण व मेंटेनेंस के लिए राज्य सरकार फंड देती है। पिछले पांच सालों के फंड को देखें तो ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर फंड दिया गया है। पहले के वर्षों में औसतन हर साल 25 करोड़ या इससे ज्यादा फंड मिलता रहा है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद बजट में ऐसी कटौती की गई कि जिसका अंदाजा किसी को नहीं था। कम फंड मिलने का नुकसान ये हुआ कि पिछले पांच साल में एक भी बड़ी मशीन नहीं खरीदी जा सकी। जबकि एमआरआई, सीटी स्कैन, डीएसए एक्सपायर होने वाली है। वहीं सीटी सिम्युलेटर, ब्रेकीथैरेपी, चार एक्सरे समेत अन्य मशीनें एक्सपायर हो चुकी हैं।

एमआरआई-सीटी स्कैन को 2012 में खरीदा गया था। इन मशीनों को चालू हुए 12 साल पूरे हो चुके हैं। यही कारण है कि आए दिन खराब हो रही है। एमआरआई जांच 3600 रुपए व 5000 रुपए में होती है। निजी सेंटरों में 5 से 10 हजार रुपए लगते हैं। वहीं, सीटी इंजेक्टर बंद होने से सीटी एंजियोग्राफी नहीं हो रही है। बाहर इसमें 8500 रुपए खर्च हो रहा है। बाकी जांच के लिए भी मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक जाकर खर्च करना पड़ रहा है। ब्लड की कुछ जांच भी बंद है। जैसे डायबिटीज के लिए एचबीए1सी दो साल से बंद है।

CG News: कौन सी मशीनें कब से बंद


मशीन - विभाग - कब से बंद

एमआरआई - रेडियो डायग्नोसिस - 20 दिन
सीटी इंजेक्टर रेडियो डायग्नोसिस 4 माह
डिजिटल रेडियोग्राफी 1 - रेडियो डायग्नोसिस - 2 साल
डिजिटल रेडियोग्राफी 2 - रेडियो डायग्नोसिस - 1 साल
सी-आर्म - ऑर्थोपीडिक ओटी - 4 माह
थ्रीडी इको - कार्डियोलॉजी - 6 माह
सीटी सिम्युलेटर - कैंसर - 18 माह
इको मशीन - मेडिसिन - 12 माह
ब्लड जांच मशीन - पैथोलॉजी - 2 माह
डायबिटीज विशेष जांच - बायो केमेस्ट्री - 6 माह

नरवा, घुरवा और गोबर में खर्च करने का हल्ला

पिछली सरकार ने पिछले पांच सालों में मेडिकल कॉलेज को बहुत कम फंड दिया है। डॉक्टरों समेत स्टाफ में चर्चा है कि हैल्थ पर खर्च करने के बजाय नरवा, घुरवा व गोबर खरीदी पर खर्च किया गया है। इसलिए कॉलेज को पर्याप्त फंड नहीं दिया गया। फंड नहीं देने से मरीजों के इलाज व जांच संबंधी जरूरी मशीनें खराब हो गईं। या नई मशीनें खरीदने में परेशानी हो रही है, क्योंकि प्रस्ताव के बाद भी इसे मंजूरी नहीं मिली। एमआरआई-सीटी स्कैन बहुत जरूरी मशीनें हैं। इतने बड़े कॉलेज में ये मशीनें केवल एक-एक है। ऐसे में बंद होने से खासकर गरीब मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।

पिछले पांच सालमें मिली राशि

वर्ष - राशि करोड़ में
2018-19 - 16.50
2019-20 - 00
2020-21 - 14.45
2021-22 - 00
2022-23 - 00
कुल 30.95 करोड़ रु

जो मशीनें बंद हैं, उन्हें सुधरवाने का प्रयास किया जा रहा है। जो मशीनें एक्सपायर हो चुकी हैं, इसके लिए नई मशीनें खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। एमआरआई व सीटी स्कैन काफी पुराना हो गया है। नई मशीन खरीदने की जरूरत है। प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है।

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