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अप्रवासी भारतीय राज्य अलंकरण से सम्मानित मनीष से खास बातचीत, बोले- छत्तीसगढ़ मेरी सोच में है, दूरी सिर्फ भौगोलिक है…

CG News: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सम्मानित अप्रवासी भारतीय मनीष तिवारी विदेश में रहकर भी रायपुर और राज्य के विकास से जुड़े हैं।

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अप्रवासी भारतीय मनीष तिवारी (photo source- Patrika)

अप्रवासी भारतीय मनीष तिवारी (photo source- Patrika)

CG News: राज्य अलंकरण से सम्मानित अप्रवासी भारतीय मनीष तिवारी का दिल आज भी अपनी जन्मभूमि रायपुर के लिए धड़कता है। लंदन में रहते हुए भी वे छत्तीसगढ़ी भाषा, कौशल विकास और युवाओं के रोजगार को लेकर चिंतित रहते हैं। उनकी इस भावना और योगदान को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सम्मानित किया। पत्रिका परिवार ने उनकी यात्रा पर उनसे बातचीत की।

मनीष का मानना है कि छत्तीसगढ़ का विकास तभी सार्थक है जब प्रवासी भारतीय भी अपनी जड़ों से जुड़े रहकर समाज को कुछ लौटाएं। उन्होंने शिक्षा, डिजिटल नवाचार और ऊर्जा दक्षता से जुड़ी कई पब्लिक यूटिलिटी प्रोजेक्ट्स को विदेश में लागू किया है और अब उनका लक्ष्य इन्हें छत्तीसगढ़ में लागू करना है। मनीष ने कहा यह सम्मान सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी भारतीयों के लिए है जो विदेश में रहकर भी अपनी माटी का गौरव बढ़ा रहे हैं। छत्तीसगढ़ मेरी सोच में है, दूरी सिर्फ भौगोलिक है।

CG News: रचनात्मकता की ओर झुकाव और कॅरियर का बदलाव

उच्च शिक्षा के दौरान मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे इंजीनियरिंग नहीं, बल्कि कुछ रचनात्मक करना है। मेरी पहली नौकरी एचसीएल में कंप्यूटर बेचने की थी, जिसमें मुझे संतुष्टि नहीं मिली। इसलिए मैंने कैट परीक्षा दी और अहमदाबाद के माइका में दाखिला लिया। बाद में, मैंने एक डेढ़ साल अंग्रेजी अखबार के मार्केटिंग विभाग में काम किया।

वहां रिसर्च डेटा और नंबर्स देखकर कॉर्पोरेट कंपनियों को विज्ञापन के लिए आकर्षित करना होता था। इसमें भी मुझे रचनात्मक संतुष्टि नहीं मिली। सौभाग्य से उसी दौरान मैंने कुछ लिखना शुरू किया और उसी अखबार ने मुझे मौका दिया। मेरे नाटक को बाद में पृथ्वी थिएटर में भी प्रदर्शित किया गया। इसी बीच मुझे लगा कि शायद यूके में रचनात्मक कार्यों के लिए अधिक खुला माहौल होगा।

निवेश के स्तर तक की पहचान

रचनात्मक कार्य से मेरी रुचि धीरे-धीरे एडवर्टाइजिंग और बिजनेस की ओर मुड़ गई। लगभग 30 साल की उम्र तक मैं यह समझ चुका था कि अब मुझे 20 साल के युवा वाला काम नहीं, बल्कि कुछ परिपक्वता वाला काम करना है। यह दौर 2005 के आसपास का था जब टोनी ब्लेयर प्रधानमंत्री थे और कई भारतीय बिजनेस यूके में अपनी पहचान बना रहे थे।

इस दौरान ब्रिटेन में मैनपावर की कमी थी और उन्हें री-बिल्ड करना था। इसलिए, उन्हें भारत और पाकिस्तान जैसे सबकॉन्टिनेंट से आए कुशल लोगों की जरूरत थी। मैंने भारतीय संस्थानों के साथ जुडक़र काम करना शुरू किया और यह एक लंबी यात्रा थी जिसने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।

जैव-विविधता और कृषि आधारित उद्योगों में भी संभावनाएं

आर्थिक विकास पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में निवेश सिर्फ खनिज क्षेत्र तक सीमित नहीं होना चाहिए। जैव-विविधता और कृषि आधारित उद्योगों में भी संभावनाएं हैं, जो राज्य के सतत विकास के लिए अधिक लाभकारी हो सकते हैं। अंत में उन्होंने सुझाव दिया कि नया रायपुर और रायपुर में आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में निवेश की बड़ी संभावनाएं हैं।

साथ ही नेटवर्किंग को छत्तीसगढ़ के विकास से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि राज्य को मल्टीप्लायर इफेक्ट के रूप में वास्तविक लाभ मिले। मैं मानता हूं कि हर तकनीकी उपलब्धि का अंतिम उद्देश्य ‘पब्लिक यूटिलिटी’ होना चाहिए। हमने एक ऐसा मॉडल बनाया है जो शिक्षा, बिजली और जल संसाधन प्रबंधन में उपयोगी साबित हो रहा है। मेरा विजन है टेक्नोलॉजी फॉर पब्लिक गुड।

सम्मान जिम्मेदारी बढ़ाता है, प्रेरणा देता है

यह सम्मान मेरे लिए प्रेरणा है कि मैं और बेहतर करूं। प्रवासी भारतीयों के पास वैश्विक अनुभव है और यदि हम सब अपनी विशेषज्ञता का कुछ अंश भी भारत को दें, तो देश की दिशा बदल सकती है। मैं आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ में इनोवेशन लैब और स्किल सेंटर खोलने की योजना बना रहा हूं।

भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं

भाषा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान का प्रतीक भी है। छत्तीसगढ़ी के संदर्भ में उन्होंने बताया कि यूके में वक्ताओं की संख्या कम है, फिर भी जो थोड़े-बहुत लोग हैं, उनके बीच संवाद और मेल-जोल बनाए रखना ही फिलहाल सबसे बड़ा प्रयास है। लिपि के अभाव से भाषा का संरक्षण कठिन है, लेकिन कुछ सामान्य शब्दों और संदर्भों के माध्यम से संवाद जीवित है।