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वोटों की फसल : 70 फीसदी विधायक हैं किसान, फिर भी नहीं सुलझ पाता बोनस और समर्थन मूल्य का मुद्दा

प्रदेश में 90 में से 64 विधायक कहीं न कहीं खेती-किसानी के काम से जुड़े हुए हैं। इसके बाद भी प्रदेश में हर साल खेती-किसानी ही चुनाव का अहम मुद्दा होता है।

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रायपुर. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 70 फीसदी विधायकों का व्यवसाय खेती है। यानी प्रदेश में 90 में से 64 विधायक कहीं न कहीं खेती-किसानी के काम से जुड़े हुए हैं। इसके बाद भी प्रदेश में हर साल खेती-किसानी ही चुनाव का अहम मुद्दा होता है। सभी राजनीतिक दलों के केंद्रबिंदु में किसान ही रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में ऐसा कोई भी साल नहीं गया है, जब विधानसभा-सत्र के दौरान किसानों के मुद्दे को लेकर सदन के अंदर और बाहर हंगामा न हुआ हो। इसके बाद भी प्रदेश के किसान किसी भी राजनीतिक दल से पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आते और न ही उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाता है।

विधायकों की और से विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक कांग्रेस-भाजपा के 64 विधायकों का व्यवसाय खेती है। इनमें सात विधायक ऐसे हैं, जिनका खेती के साथ दूसरा काम भी है। इसमें दिलीप लहरिया, चुन्नीलाल साहू, मोतीलाल देवांगन, युद्धवीर जुदेव, संतराम नेताम, मोहन मरकाम और लखेश्वर बघेल का नाम शामिल है। वहीं एक विधायक राइस मिल चलाते हैं। प्रदेश के चार डॉक्टर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, डॉ. रेणु जोगी, डॉ. प्रीतम राम और डॉ. विमल चोपड़ा विधानसभा पहुंचे थे।

अरुण-मनोज ने खुद को बताया राजनेता
विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक दुर्ग शहर के विधायक अरुण वोरा ने व्यवसाय वाले कॉलम में राजनीति को अपना पेशा बताया है। इनके अलावा मनोज सिंह मंडावी का नाम भी राजनीति को व्यवसाय बताने वाले में शामिल है। कृषि, राजनीतिक और समाजसेवा तीनों को व्यवसाय की श्रेणी में रखा है। वहीं विधानसभा में केराबाई मनहर ही एक मात्र गृहिणी है। इसके अलावा 12 विधायकों ने अपना व्यवसाय व्यापार बता है, चार लोगों ने चिकित्सक और तीन ने खुद का व्यवसाय अधिवक्ता बताया है।

बोनस और समर्थन मूल्य रहा प्रमुख मुद्दा
प्रदेश में किसानों के लिए विद्युत कटौती, समय पर बीज नहीं मिलना और बीज खराब होना आदि हमेशा मुद्दा रहा है। इसके बाद सबसे बड़ा मुद्दा किसानों को धान का 300 रुपए बोनस और 2100 रुपए समर्थन मूल्य रहा है। इसके लिए विपक्षी दल और किसान नेता चार साल तक लगातार लड़ाई लड़ते रहे हैं। चुनावी साल में राज्य सरकार ने दो साल का बोनस देने की घोषणा की। सत्ता पक्ष का दावा है कि बोनस व धान खरीदी की राशि मिलाकर धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए के आसपास पहुंच गया है। इसके अलावा फसल बीमा और सूखा राहत राशि के मुआवजे को लेकर भी प्रदेश के किसानों में आक्रोश है।

विरासत में मिला व्यवसाय
प्रदेश की चतुर्थ विधानसभा में पहुंचे कई विधायक ऐसे हैं, जिन्हें विरासत में व्यवसाय मिला है। इनमें नगरीय प्रशासन मंत्री अमर अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और जगदलपुर विधायक संतोष बाफना का नाम शामिल हैं। मंत्री राजेश मूणत ने अपना व्यवसाय प्रिटिंग प्रेस बताया है। दुर्ग ग्रामीण की विधायक और महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशील साहू भी व्यवसायी है। सबसे अहम यह है कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने विधानसभा को दी जानकारी में अपना खुद का व्यवसाय बताया है। कांग्रेस विधायक दिलीप लहरिया ने कृषि के साथ-साथ लोक गायन को अपना व्यवसाय दिखाया है। आरंग विधायक नवीन मारकण्डेय, संतराम नेताम और मरवाही विधायक अमित जोगी ने व्यवसाय कॉलम के आगे अधिवक्ता लिखा है।

इन्होंने नहीं दी व्यवसाय की जानकारी
पांच विधायकों रोहित कुमार साय, तोखन साहू, श्रवण मरकाम, प्रेमप्रकाश पाण्डेय और अशोक साहू ने अपना व्यवसाय वाला कॉलम खाली छोड़ रखा है।

चतुर्थ विधानसभा में विधायकों की स्थिति
कृषि 64
व्यापार 12
चिकित्सक 04
राजनीति 02
अधिवक्ता 03
गृहिणी 01