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PCC की रेस में मनोज मंडावी और अमरजीत भगत पर इन वजहों से भारी पड़े मोहन मरकाम

locationरायपुरPublished: Jun 29, 2019 08:08:27 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

मोहन मरकाम (Mohan Markam) ने भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की जगह छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल ली।

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PCC की रेस में मनोज मंडावी और अमरजीत भगत पर इन वजहों से भारी पड़े मोहन मरकाम

रायपुर. कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने शनिवार को भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की जगह छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल ली है। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में मोहन मरकाम के अलावा अमरजीत भगत और मनोज मंडावी भी शामिल थे। लेकिन अंतत: कांग्रेस आलाकमान ने आदिवासी नेता मोहन मरकाम पर भरोसा जताया और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। आइए जानते हैं किन वजहों से मोहन मरकाम, मनोज मंडावी और अमरजीत भगत पर भारी पड़े।

इन वजहों से भारी पड़े मरकाम
– बताया जा रहा है कि टी.एस. सिंहदेव सीतापुर विधायक अमरजीत भगत को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर सहज नहीं थे। उन्होंने मोहन मरकाम और मनोज मंडावी का नाम सुझाया था।

– मंत्रिमंडल में स्थान और प्रदेशाध्यक्ष पद में से एक पर बस्तर का दावा मजबूत था। बस्तर ने विधानसभा की 12 में से 11 सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी और लोकसभा चुनाव में भी सीट जीतकर दी थी। इसके बावजूद मंत्रिमंडल में एक विधायक को ही जगह मिल पाई।
– मरकाम सामान्य पृष्ठभूमि से राजनीति में आए हैं। शासकीय और अर्धशासकीय नौकरियों को छोड़कर राजनीति की। ब्लॉक कांग्रेस समिति के अध्यक्ष से लेकर एआईसीसी में प्रतिनिधि रहे। उनके उलट मंडावी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पिता भी विधायक रहे हैं। राहुल गांधी वंशवादी ठप्पे को मिटाने की कोशिश में है।
– 1990-91 में कांग्रेस के साथ जुड़े मरकाम ने तीन चुनाव में टिकट की दावेदारी की। टिकट नहीं मिला तो नाराज होकर बागी नहीं बने। संगठन का काम किया। 2008 में पहली बार टिकट मिला तो तत्कालीन भाजपा सरकार की मंत्री लता उसेंडी से हार गए। 2013 में लता उसेंडी को ही हराकर पहली बार विधायक बने। 2018 में दोबारा चुने गए।
– लोकसभा चुनाव में जहां कांकेर सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी हार गया। वहां बस्तर सीट ने लाज बचाई। कोंडागांव विधानसभा सीट पर 12 हजार से अधिक मतों की लीड मरकाम के पक्ष में गई।
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