12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां तिरपाल लगाकर किया जाता है दाह संस्कार, परिजनों की तकलीफ जानकर भड़क जाएंगे आप

यहां परिजनों को मुखाग्नि (Funeral) देने में भी करनी मशक्कत करनी पड़ती है, जबकि सरकार जगह जगह सुविधा युक्त इलेक्ट्रिक मुक्तिधाम बनवा रही है।

2 min read
Google source verification
Funeral

यहां तिरपाल लगाकर किया जाता है दाह संस्कार, परिजनों की तकलीफ जानकर भड़क जाएंगे आप

रायपुर। हिन्दुओं में मौत होने के बाद आत्मा की शांति के लिए मृत शरीर को मुखाग्नि दी जाती है। सरकार परिजनों और मुखाग्नि के प्रक्रिया को सही तरीके से संभव करने के लिए इलेक्ट्रिक मुक्तिधाम भी बनवा रखे हैं। लेकिन प्रदेश के इस इलाके में जीवन ख़त्म होने के बाद भी न मृत की आत्मा को सुकून नहीं मिल पा रहा है। दरअसल छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों के मुक्तिधाम की स्थिति बद से बत्तर हो गई हैं।

जब लड़की ड्यूटी करने पहुंची अस्पताल, तो सीनियर ने किया दरवाजा बंद और करने लगा ज़बरदस्ती गन्दा काम

प्रदेश का एक स्थान ऐसा भी है जहा बारिश के दिनों अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे मुक्तिधाम में तिरपाल लगा कर मुखाग्नि दी जाती है। ऐसा ही मामला देखने को मिला पाण्डुका के मुक्तिधाम में। जहां की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसके चलते बारिश के मौसम में यहां अंतिम संस्कार करना काफी मुश्किल भरा होता है। गौरतलब है कि ग्राम के युवा तुकेस तारक की आकस्मिक मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए इस मुक्तिधाम में लाया गया।

चावल घोटाले पर मंत्री से लेकर अधिकारी तक की आँखे बंद, राज्योत्सव में हुआ था 108 क्विंटल का घपला

जहां छत नहीं होने के कारण दोस्तों और परिजनों ने तिरपाल के सहारे मुखाग्नि दी। एक ओर जहां मुक्तिधाम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए है ताकि वे अपने परिजनो का अंतिम संस्कार सही ढंग से कर पाए। तो दूसरी तरफ पाण्डुका का मुक्तिधाम लोगों के लिए समस्या बन चुका है लेकिन जनप्रतिनिधियों को इसकी जरा सी भी चिंता नहीं है।

बाढ़ से बेहाल बस्तर, दर्जन से ज्यादा बह गए घर, बचना है तो कर ले तैयारी

यहीं नहीं पंचायत सरकड़ा में देखे तो इस क्षेत्र में एक भी मुक्तिधाम नहीं है। जहां ग्रामीणों का कहाना है कि इस क्षेत्र के पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मुक्तिधाम निर्माण के लिए मिले पैसे डकार लिए गए है। इसके चलते यहां के निवासी नदी किनारे खुले आसमान के निचे अंतिम संस्कार मजबूरी में करते है।

Click & Read More chhattisgarh news .