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रायपुर

इस बार के चुनाव में नेता जी को महंगी पड़ेगी बैलगाड़ी की सवारी

राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए बैलगाड़ी के उपयोग को भी चुनाव खर्च की सूची में रखा है। रोचक बात यह है कि बैलगाड़ी का एक दिन का किराया एसी वाहनों से दोगुना है। लोकसभा चुनाव में बैलगाड़ी को चुनाव प्रचार वाहनों में शामिल नहीं किया गया था।

रायपुरDec 05, 2019 / 10:04 pm

Karunakant Chaubey

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रायपुर. इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए बैलगाड़ी के उपयोग को भी चुनाव खर्च की सूची में रखा है। रोचक बात यह है कि बैलगाड़ी का एक दिन का किराया एसी वाहनों से दोगुना है। लोकसभा चुनाव में बैलगाड़ी को चुनाव प्रचार वाहनों में शामिल नहीं किया गया था। एसी कार का किराया 1000 से 1500 रखा गया है।

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वहीं बैलगाड़ी का किराया 2400 रुपए प्रति दिन तय है। कार, बस और ऑटो जैसे वाहन किराए पर लेने पर उम्मीदवार को प्रति दिन 1000 रुपये और 3000 रुपये के बीच तय की गई है। जबकि सूमो व एसी कार 1200 रुपए प्रतिदिन, इनोवा, होण्डा सिटी को 1600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना होगा।

होटल किराए की दर बदली

निर्वाचन आयोग ने होटल किराए में भी फेरबदल किया है। इसमें सुईट डबल 200 से बढ़कर 2500 हो गया है। जबकि नान एसी सिंगल कमरे की कीमत 150 रुपए घटी है। नान एसी डबल रूम की कीमत में 200 रुपए का इजाफा किया गया है।

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पानी पाउच पर रोक, फिर भी लिस्ट में शामिल

जारी दर सूची में पानी पाउच को भी शामिल किया गय है। जबकि केंद्र और राज्य सरकार ने वन टाइम यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। मिनरल वाटर के 1 लीटर बोतल का 15 रुपए प्रति बोतल के हिसाब से खर्च दिखाना होगा, जबकि पाउच की एक बोरी 80 रुपए की पड़ेगी। वहीं नगर निगम से पानी टैंकर लेने के लिए 200 से 600 रुपए तय किया गया है।

ढोल नगाड़े व नाचा पार्टी के लिए देने होंगे हजारों

निर्वाचन आयोग द्वारा ढोल,नगाड़ा, मांदर के लिए 800 रुपए प्रतिदिन देना होगा। नाचा पार्टी के लिए 9000 रुपए व मैजिक शो के लिए 1500 रुपए का दर निर्धारित किया गया है। इसके अलावा पार्टी कार्यालय का किराया प्रति वर्ग फीट 5 रुपए कम हुआ है। लोकसभा चुनाव की तुलना में प्रोजेक्टर और एलईडी डिस्प्ले का किराया 500 रुपए कम किया गया है।

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राजनीति पार्टियों से चर्चा कर तय होती है दरें

आयोग द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी चुनाव के लिए रेट कार्ड बनाने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करते हैं। इसके आधार पर ही रेट लिस्ट का निर्धारण किया जाता है। वार्ड का दायरा विधानसभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र की तुलना में बहुत ज्यादा कम होता है। यही नहीं, खर्च की सीमा भी पार्षद प्रत्याशियों के लिए बेहद कम है। लेकिन पार्षद प्रत्याशियों के रेट कार्ड में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के रेट लिस्ट में मामूली अंतर ही है।

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