5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब तक मुख्यमंत्री चुनाव नहीं हारे

छत्तीसगढ़ के चुनाव के नतीजों की चर्चा तेज हो गई है। सभी अपने-अपने हिसाब से सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक जीतने भी मुख्यमंत्री हुए है, वो अपना चुनाव नहीं हारे हैं।

2 min read
Google source verification


राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2023 को मिलाकर पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन पांच चुनाव में छत्तीसगढ़ को तीन मुख्यमंत्री मिले हैं। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री रहते हुए, जो चुनाव लड़ा है, वो चुनाव नहीं हारा है। यह बात अलग है कि उनकी सरकार चली गई है। छत्तीसगढ़ में दिवंगत अजीत जोगी उप चुनाव जीतकर पहले मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में वे चुनाव जीते, लेकिन कांग्रेस की सरकार नहीं बनी। इसके बाद तीन बार तक डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वर्ष 2018 में उनकी सरकार चली गई, लेकिन उन्होंने अपना चुनाव जीत लिया था। इस बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भूपेश बघेल संभाल रहे हैं। अभी वर्ष 2023 के चुनाव के नतीजे आना बाकी है।

पिछले चार चुनावों में 31 मंत्री हारे
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कई रंग देखने को मिलते हैं। मतदाता सूबे के मंत्रियों को भी हराने से गुरेज नहीं करते हैं। राज्य निर्माण के बाद मंत्रियों व राज्यमंत्रियों को हार का सामना करना पड़ता रहा है। पिछले चार विधानसभा चुनाव में 31 मंत्रियों को जनता ने नकार दिया है। वर्ष 2023 के चुनाव में भी प्रारंभिक सर्वे के मुताबिक दो मंत्रियों की सीट खतरे में दिखाई दे रही है। वहीं चार मंत्रियों की सीट पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है।
राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ के 23 विधायकों को मंत्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। इसमें से 13 मंत्री व राज्य मंत्री अपना चुनाव हार गए थे। इनमें डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकार, अमितेष शुक्ला, बीडी कुरैशी, धनेश पाटिला जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल थे। इस दौरान भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद हुए चुनाव में भाजपा के चार मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था।

गणेशराम भगत, अजय चंद्राकर जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। प्रदेश में दोबारा भाजपा की सरकार बनी। मंत्रिमंडल में नए चेहरे आए, लेकिन इसके बाद हुए चुनाव में पांच मंत्रियों को हार मिली। इनमें राम विचार नेताम, ननकी राम कंवर, हेमचंद यादव, उता उसेण्डी व चंद्रशेखर साहू शामिल थे। इसके बाद तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी, लेकिन इसके बाद हुए चुनाव में भाजपा की बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। इसमें रमन सिंह सहित दो मंत्रियों को छोड़कर सभी को जनता ने पसंद नहीं किया और उन्हें हार मिली।