
Child Marriage (File Photo)
Child marriage case: हिमांशु शर्मा. पिछले महीने रजत जयंती वर्ष मनाने वाले छत्तीसगढ़ ने शिक्षा में जहां 70.28 प्रतिशत साक्षरता दर हासिल कर ली है, लेकिन प्रदेश में अभी भी हो रहे बाल विवाह इस पर दाग लगा रहे हैं। बाल विवाह जैसी कुप्रथा के दंश से बचपन दम घोट रहा है। जागरुकता कार्यक्रमों के बाद भी ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में नाबालिगों के विवाह हो रहे हैं। जबकि सरकार की ओर से 2024-25 में बाल विवाह के विरुद्ध जागरुकता योजना के लिए 1.50 करोड़ रुपए बजट भी दिया गया है।
राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले डेढ़ साल में 500 से ज्यादा बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। इनमें कई मामले ऐसे भी हैं, जिसमें प्रशासन ने ऐन वक्त पर शादी रुकवाई। विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2024-25 में कुल 349 मामले सामने आए थे। इनमें कार्रवाई करते हुए टीम ने 341 बाल विवाह रुकवाए। वहीं, 2025-26 में अगस्त तक कुल 185 मामले विभाग के संज्ञान में आए, इनमें 181 विवाह विभाग ने रुकवाए। वहीं, रायपुर में 2024-25 में 6 तो, इस साल नवंबर तक 5 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा सूरजपुर में 68 मामले सामने आए हैं।
बाल विवाह रोकने अब महिला एवं बाल विकास अधिकारी समेत अन्य लोगों की टीम गांव-गांव में पंडित, डीजे वाले, हलवाई, मिठाई दुकान, बैंड वाले, टेंट वाले, विवाह कार्ड छापने वाले, आभूषण दुकान, कैटर्स से संपर्क कर उन्हें बाल विवाह के लिए जागरूक कर रहे हैं। उन्हें कहा जा रहा है कि जैसे ही बाल विवाह की जानकारी मिले पास के थाने या फिर चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, महिला हेल्प लाइन 181, पुलिस आपातकालीन 112 में संपर्क कर सकते हैं।
पिछले माह ही राजधानी के खरोरा थाना क्षेत्र के एक युवक की बलौदाबाजार की 16 साल की नाबालिग लड़की से शादी होने वाली थी। जिसे महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने रुकवा दिया। अफसरों ने परिजनों से घोषणापत्र भी भरवाया। अधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि इसके बाद भी युवक और उसके घरवाले नाबालिग के घर बारात लेकर जाएंगे तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
विभाग के अनुसार राजधानी में 192 ग्राम पंचायतें बाल विवाह मुक्त हो गई हैं। साथ ही 12 नगरीय निकाय क्षेत्रों में पिछले तीन साल में एक भी बाल विवाह के मामले नहीं आए।
छत्तीसगढ़ बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष वर्णिका शर्मा ने पत्रिका को बताया कि बालोद बाल विवाह मुक्त घोषित हुआ है, लेकिन अब भी कुछ स्थानों पर विवाह हो रहे हैं। अभी भी स्थिति ऐसी है कि घरवाले बच्चियों की शादी तय कर लेते हैं। रोकने जाते हैं, तो उन्हें कह देते हैं नहीं करेंगे शादी, लेकिन कहीं न कहीं जाकर वे शादी कर ही देते हैं, ऐसी कई घटनाएं हैं। जागरुकता की आज भी कमी है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी, शैल ठाकुर ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अब हमारी टीम गांव-गांव जाकर पंडित, डीजे वाले, हलवाई, मिठाई दुकान, बैंड वाले से भी संपर्क कर जागरुक कर रही है। जिससे बाल विवाह की सूचना मिलते ही टीम द्वारा इसे रोका जा सके।
जानिए, 2024-25 में प्रदेश में कितने बाल विवाह रुकवाए
जिला मामले जिला मामले
रायपुर 6 दुर्ग 5
बालोद 5 गरियाबंद 4
बलौदाबाजार 36 जांजगीर 13
बलरामपुर 26 सक्ती 5
बस्तर 8 जशपुर 15
बेमेतरा 26 कवर्धा 13
बिलासपुर 10 कांकेर 4
दंतेवाड़ा 5 कोंडागांव 2
धमतरी 4 कोरबा 8
कोरिया 3 मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर- 2
महासमुंद 5 मुंगेली 10
रायगढ़ 10 सारंगढ़ 1
राजनांदगांव 4 सूरजपुर 68
सरगुजा 20
Published on:
16 Dec 2025 01:32 pm
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