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‘भगवदज्जुकम्’ में कॉमेडी का तड़का, ‘एलेक्सा के घर’ में मिला मॉरल मैसेज

Raipur News: जुगनू थिएटर एंड आर्ट सोसायटी की ओर से शुक्रवार को सड्डू स्थित जनमंच में दो नाटक ‘भगवदज्जुकम्’ और ‘एलेक्सा का घर’ खेला गया।

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Comedy in 'Bhagavadajjukam', moral message found in 'Alexa's house'

‘भगवदज्जुकम्’ में कॉमेडी का तड़का,

Chhattisgarh News: रायपुर। जुगनू थिएटर एंड आर्ट सोसायटी की ओर से शुक्रवार को सड्डू स्थित जनमंच में दो नाटक ‘भगवदज्जुकम्’ और ‘एलेक्सा का घर’ खेला गया। ‘भगवदज्जुकम्’ कॉमेडी प्ले था जिसे देख दर्शक लोटपोट हो गए, वहीं एलेक्सा का घर एक मॉरल स्टोरी थी जिसमें बताया गया कि उन्हें वही चीज मिलती है जिसके वे हकदार हैं। ‘भगवदज्जुकम्’ सातवीं शताब्दी के एक रोचक संस्कृत प्रहसन है।

इसमें आत्मा और शरीर की अदला-बदली का रोचक दृश्य गढ़ा गया है। सयाली वाघले लिखित एलेक्सा का घर छोटे बच्चों की कहानी है। यह घर बंद पड़ा। यहां जो भी बोलो हर विश पूरी होती है। मैसेज यही दिया गया कि कोई भी चीज मेहनत और पढ़ाई के बिना नहीं मिलती।

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जब भुगतना पड़ा यमदूत की गलती का खामियाजा

वसंतसेना अपनी सेविका के साथ उद्यान जाती है, वसंतसेना का प्रेमी रामिलक उससे मिलने आता है, इस बीच यमदूत किसी अन्य स्त्री के प्राण लेने आता है और गलती वसंतसेना के प्राण ले लेता है। उसी उद्यान में एक संन्यासी परिव्राजक भी अपने शिष्य शांडिल्य के साथ आए हुए हैं। शांडिल्य वसंतसेना को मृत देखकर दुखी हो जाता है। तब संन्यासी योग के बल से अपना जीव वसंतसेना के शरीर में प्रवेश करवा देते हैं। इसमें परकाया प्रवेश का ऐसा खेल होता है कि धर्म जैसा संवेदनशील मुद्दा भी हास्य संवादों के साथ दर्शकगणों तक पहुंच जाता है।

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इन्होंने निभाई भूमिका

परिव्राजक - अभिषेक उपाध्याय
शांडिल्य - कपिल धनगर
वसंतसेना - नंदनी जैन
रामिलक - भरत सिंह
मधुकरिका - प्रिया अग्रवाल
परिभृतिका - संजना तिवारी
यमदूत - आकाश वर्मा, रूपेश साहू, कलश जैन
वसंतसेना की मां - भावना नेहाल
वैद्य - देवेंद्र पाल

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बच्चों की विश पूरी करता ‘एलेक्सा का घर’

‘एलेक्सा का घर’नाटक छह बच्चों रोहन (12), मंजू (9), वृंदा (13), नूतन (9), कियान (8), अनीश (11) के इर्द-गिर्द घूमता है। रोहन और मंजू भाई-बहन हैं। उन्हें अपने पिता से एक पत्र प्राप्त होता है जिसमें कहा गया है कि वे दूसरे देश जा रहे हैं। परिवार के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे। वे इस चिट्ठी को मां को देने जा रहे होते हैं लेकिन पत्र खो जाता है। वे अगले दिन पत्र को मां तक पहुंचाने का प्लान करते हैं लेकिन अगले दिन सभी को आश्चर्य हुआ।

उन्हें वही मंथली इनकम प्राप्त हुई जो उनके पिता आमतौर पर भेजते थे। वे देखते हैं कि दरवाजे पर एक चिट्ठी पड़ी है। यह चिट्ठी उनके पिता की ही है जो पिछले दिन के पत्र का खंडन करती है। इससे बच्चों को लगता है कि वे कागज के एक टुकड़े पर जो भी इच्छा लिखते हैं और उसे दरवाजे के नीचे सरका देते हैं, वह पूरी हो जाएगी। जैसे एलेक्सा हर इनपुट को आउटपुट देती है।

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