जानिए ये पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के स्टेट बैंक की बड़ी गलती 8 साल बाद खुलासा हुआ है। जिले के नगरी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एक खाताधारक ने 50 हजार रुपए का फिक्स डिपाजिट करवाया था, लेकिन जब परिपक्वता की तिथि आई तो उसे फिक्स डिपाजिट के ब्याज 7.5 प्रतिशत के बदले मात्र 4 प्रतिशत ब्याज ही दिया गया। यह मामला उपभोक्ता फोरम में चला, जहां पर बैंक की गलती ठहराते हुए खाताधारक को 10 हजार मानसिक क्षतिपूर्ति और 2.5 हजार वाद व्यय के साथ बाकी के 3.5 प्रतिशत ब्याज चुकाने के निर्देश दिया।
मामला 8 साल पहले का
सूत्रों के अनुसार यह मामला 8 साल पहले का है। सांकरा निवासी शिक्षक गुमान सिंह कोली ने 14 सितंबर 2010 को एसबीआई नगरी में 50 हजार रुपए का फिक्स डिपाजिट किया था। बैंक द्वारा उसे रसीद भी जारी किया गया है। इस डिपाजिट पर 7.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज दिया जाना था। अधिकारियों की गलती के चलते यह राशि शिक्षक के बचत खाते से फिक्स खाते में ट्रांसफर नहीं हो पाई।उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला
जब मिच्योरिटी की तारीख आई तो शिक्षक राशि लेने पहुंचा। उसे बचत खाते में दिए जाने वाले 4 प्रतिशत ब्याज देकर थमा दिया गया। इससे नाराज होकर उसने उपभोक्ता फोरम में वाद प्रस्तुत किया। फोरम के अध्यक्ष शैलेष कुमार केतारप, सदस्य रूपा शर्मा और प्रीति श्रीवास्तव की पीठ ने शिक्षक के पक्ष में फैसला देते हुए बैंक को फिक्स डिपाजिट पर ब्याज के अंतर की राशि 3.5 प्रतिशत को लौटाने तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार की राशि भुगतान करने का आदेश दिया।