20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ठेले- खोमचे लगवाकर सड़कें जाम करा रहा निगम, वेंडर जोन पर लगा पलीता

- शहर में घूम रहे 1 लाख से ज्यादा ठेले वाले, सर्वे में 8 हजार की तैयार की गई थी सूची, वेंडर कार्ड बांटे सिर्फ 300 के करीब.

2 min read
Google source verification
kapda_market.jpg

रायपुर। ठेले और खोमचे लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वालों की व्यवस्था बनाने के बजाय उस पर नगर निगम ही पलीता लगा रहा है। ऐसे छोटे-छोटे काम-धंधा करने वालों को वेंडर जोन नहीं मिल पाया है। जबकि इसके लिए तीन साल पहले सर्वे हुआ और ऐसे 8 हजार लोगों को सूचीबद्ध भी किया गया। परंतु वेंडर कार्ड बांटे सिर्फ 283 लोगों को। इसीलिए निगम के जिम्मेदार बाजार की सड़कों के अलावा अब जीई रोड तक को छोड़े। एनआईटी चौक के दोनों तरफ से लेकर निगम की सेंट्रल लाइब्रेरी तक ठेलों में दुकानें लगवा दी गई हैं। जबकि यह शहर की ऐसी रोड है, जिस पर सवा लाख के आसपास ट्रैफिक रहता है।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नगर निगम का जिम्मा है कि वेंडर जोन तैयार करना। परंतु उस पर पलीता लग चुका है। वेंडर जोन बनाने का उद्देश्य यही था कि रायपुर की तस्वीर स्मार्ट सिटी के अनुरूप नजर आए। यह तब होता जब सड़कों के किनारे से ठेलों में खानपान और सब्जी, फल-फूल बेचने वाले लोगों को व्यविस्थत तरीके से जगह आवंटित की जाती। परंतु शहर के सभी जगह सड़कों के किनारे की जगहों को ही चुना गया। ऐसे में सबसे अधिक दिक्कतें आवाजाही में बढ़ती ही जा रही है। गोलबाजार, मालवीय रोड और बैजनाथपारा जैसे भीड़-भाड़ वाले बाजारों में जाने और वहां से बाहर निकलने में दोपहिया और चारपहिया रेंगते हुए नजर आते हैं। क्योंकि दुकानों के सामनों और ठेले वालों से दोनों तरफ की सड़कें घिरी रहती हैं। जिसे निगम प्रशासन दुरुस्त करने में असफल रहा है।

शहीद स्मारक परिसर में महिला जोन में व्यवस्था चौपट
हैरत की बात यह कि जिन जगहों में वेंडर जोन के तहत ठेले-खोमचे लगवाए गए, वहां की हालत सुधरी नहीं। महिलाओं के लिए शहीद स्मारक भवन परिसर में वेंडर जोन तय किया गया, परंतु उस जगह पर शौचालय जैसी सुविधा नहीं होने के कारण वह परिसर उजड़ चुका है। रवि भवन के सामने और एमजी रोड और मौदहापारा रोड पर भी बुरा हाल है। उन जगहों से निकलना मुश्किल होता है। त्योहारी सीजन में भीड़भाड़ बढ़ने पर और अधिक समस्या बढ़ जाती है।

छोटे कारोबारी ही निगम और ट्रैफिक पुलिस के निशाने पर
वेंडर पॉलिसी के तहत साल 2016-17 में सूडा के माध्यम से बाजारों और प्रमुख शहरों का सर्वे कराया गया। ताकि ठेलों पर कारोबार करने वालों को व्यविस्थत किया जा सके। यह प्लान सर्वे तक ही समिट कर रह गया है। उस दौरान 5 हजार 980 लोगों की सूची तैयार की गई। परंतु इनमें से अधिकतर सड़कों के किनारे ठेले लगाने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में जब भी अतिक्रमण हटाने के लिए निगम और ट्रैफिक पुलिस निकलती है तो सबसे अधिक निशाने पर ऐसे लोग ही होते हैं। उन पर जुर्माना और ठेले जब्त किए जाते हैं। परंतु एक जगह व्यविस्थत स्थान नहीं मिला।

ठेले-खोमचे वालों को निगम के जोन स्तर पर जगह तय की जा रही है। वेंडर जोन बन नहीं पाए, इसलिए दिक्कतें हैं। इसके लिए जल्द बैठक में समीक्षा की जाएगी।
- डॉ. दीप्ति पाणिग्रही, एनएलयूएम अधिकारी, निगम

जीई रोड पर सरस्वती थाने के करीब से सेंट्रल लाइब्रेरी तक जोन के माध्यम ही ठेले-खोमचे वालों के लिए जगह तय की गई है। परंतु यह अस्थायी है। वेंडर जोन लाइब्रेरी के पीछे खाली जगह में तैयार किया जाना है।
- विनोद पांडेय, कमिश्नर, जोन-7