
Corona in Chhattisgarh: कोरोना का दूसरा पीक गुजरा, मरीज हुए कम लेकिन मौतें बढ़ा रही चिंता
रायपुर. कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Coronavirus) का पीक भले ही गुजर गया हो, भले ही अब 15,000-16,000 की जगह 5 हजार मरीज रिपोर्ट हो रहे हों, मगर मौतों का आंकड़ा सैकंड़े से नीचे नहीं आ रहा। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में जहां रोजाना 146 मौतें रिपोर्ट हुईं, वहीं मई में यह औसत 218 मरीज रोजाना तक जा पहुंची है।
इससे कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की भयावकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। श्मशानघाटों में लाशों की कतार लगा हुई है, जलाने और दफनाने के लिए जगह कम पड़ रही है। शवों को ले जाने के लिए मुक्तांजलि वाहन कम पड़े तो जिलों ने ट्रकों और अन्य वाहनों को शव वाहन बना दिया।
'पत्रिका' पड़ताल में सामने प्रदेश में कोरोना की पहली लहर से दूसरी लहर 5 गुना अधिक घातक साबित हो रही है। कोरोना की पहली लहर में सितंबर में पीक आया, इस दौरान सामान्य बीमारियों से अस्पातलों में मरने वालों की संख्या 2,505 रही जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 1107 रही। मगर, दूसरी लहर में आंकड़ों में भारी अंतर आ गया है।
अप्रैल में सामान्य बीमारी से मरने वालों की संख्या 2268 रही, जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 4402 रही। इनमें से 3817 शवों को मुक्ताजंलि के जरिए श्मशानघाट तक पहुंचाया गया। इसी प्रकार 17 मई तक सामान्य बीमारियों से अस्पतालों में 1,100 मरीजों ने दमतोड़ा, इन्हीं 17 दिनों में कोरोना से 3,714 जानें गईं। इनमें 2,037 शवों को मुक्तांजलि के जरिए परिवहन किया गया। हालांकि मई के पहले 10 दिनों की तुलना में बाकी के 10 दिनों में मौतों का आंकड़ा 200 के नीचे आया है।
कोरोना मृतकों के शवों के लिए मुक्तांजलि कम पड़ी
प्रदेश में अप्रैल में सर्वाधिक मौतें हुईं। इनमें से 585 और मई में 1677 शवों को मुक्तिधाम तक पहुंचाने के लिए मुक्तांजलि (शव वाहन) नहीं मिल सके। इन्हें ट्रक और अन्य वाहनों को बनाए गए शव वाहनों के जरिए परिवहन किया गया। प्रदेश में 107 मुक्तांजलि वाहन हैं। स्वास्थ्य विभाग ने शासन से 18 और वाहन मांगे हैं ताकि शव का परिवहन ससम्मान किया जा सके। मुक्तांजलि के स्टाफ पूरे कोरोना काल में ड्यूटी पर तैनात हैं।
घरों में मरने वालों का कोई रेकॉर्ड नहीं
कोरोना के चलते अस्पतालों में रूटीन का इलाज प्रभावित होता आ रहा है। इमरजेंसी को छोड़ बाकी ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। कई मौतें इलाज के अभाव में भी हो रही होंगी। घर में मरने वालों का अभी डेटा शासन-प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। हालांकि मृत्यु प्रमाण-पत्रों के लिए लॉकडाउन खुलने पर नगर निगमों में आवेदनों की संख्या बढ़ी है।
स्वास्थ्य विभाग मुक्तांजलि राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने कहा, बीते 2 महीनों में कोरोना से मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा। मुक्तांजलि वाहन कम पड़े तो जिलों ने अपने स्तर पर शवों के परिवहन की व्यवस्था की। और मुक्तांजलि वाहन मांगे गए हैं।
मौतों का भयावह आंकड़ा
माह- नॉन कोविड - कोविड
जून 2020- 2671- 13
जुलाई 2020- 2956- 39
अगस्त 2020- 2738- 326
सितंबर 2020- 2505- 1107 (पहला पीक)
अक्टूबर 2020- 2522- 797
नवंबर 2020- 2765- 631
दिसंबर 2020- 2806- 476
जनवरी 2021- 3108- 297
फरवरी 2021- 2711- 121
मार्च 2021- 2763- 380
अप्रैल 2021- 2268- 3817 (दूसरा पीक)
मई 2021- 1100- 2037
(नोट- ये संख्या उन मृतकों की है जिन्हें मुक्तांजलि के जरिए मुक्तिधाम तक पहुंचाया गया। जिनकी मौतें अस्पताल में हुईं।)
Published on:
22 May 2021 09:39 pm
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