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उन्नति करना चाहते हो तो झुकने की कला सीख लो : अभिषेकजी

शास्त्र वाचन में अभिषेक ने कहा कि धर्म का दूसरा लक्षण है उत्तम मार्दव। जो मृदु है, कोमल है, उसका जो भाव है, उसे मार्दव कहते हैं। मद के कारण मृदुता का अभाव हो जाता है। व्यक्ति मद के नशे में अपने को उच्च तथा दूसरे को तुच्छ समझने लगता है। जिस प्रकार क्षमा धर्म का विरोधी क्रोध ह,ै उसी प्रकार मार्दव धर्म का विरोधी मान है। मान कषाय का मर्दन करना ही मार्दव धर्म है।

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उन्नति करना चाहते हो तो झुकने की कला सीख लो : अभिषेकजी

उन्नति करना चाहते हो तो झुकने की कला सीख लो : अभिषेकजी

दश लक्षण महापर्व
भाटापारा। श्री 1008 आदिनाथ नवग्रह पंच बालयती दिगंबर जैन मंदिर भाटापारा में पर्युषण पर्व दश लक्षण महापर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रात: 7 श्री 1008 महावीर भगवान की प्रतिमा मस्तक पर विराजमान कर भक्ति नृत्य के साथ पांडुक शिला में विराजमान की गई। इसके बाद श्रीजी का मंगल अभिषेक प्रारंभ हुआ। आज की मंगल सर्व विघ्न विनाशक शांति धारा का सौभाग्य नवीन कुमार गदिया, नितिन कुमार गदिया भाटापारा को प्राप्त हुआ। शांति धारा के बाद भगवान की मंगलमय आरती की गई। दशलक्षण पर्व के इस अवसर पर सुमन लता मोदी के द्वारा श्री 1008 दशलक्षण विधान संपन्न किया जा रहा है। द्वितीय दिन भी दशलक्षण विधान किया गया। पूजा की गई व मांडने में अर्ध समर्पित किया।
शास्त्र वाचन में अभिषेक ने कहा कि धर्म का दूसरा लक्षण है उत्तम मार्दव। जो मृदु है, कोमल है, उसका जो भाव है, उसे मार्दव कहते हैं। मद के कारण मृदुता का अभाव हो जाता है। व्यक्ति मद के नशे में अपने को उच्च तथा दूसरे को तुच्छ समझने लगता है। जिस प्रकार क्षमा धर्म का विरोधी क्रोध ह,ै उसी प्रकार मार्दव धर्म का विरोधी मान है। मान कषाय का मर्दन करना ही मार्दव धर्म है। हमारे दुख का कारण हमारा अपना अहंकार है, यही अहंकार जीव का सबसे बड़ा शत्रु है जो सारे गुणों को क्षणभर में नष्ट कर देता है। आज का युग ऐसा हो गया है अगर किसी व्यक्ति को जब किसी की कोई कमी मालूम पड़ जाती है, तब जब तक उसे फैला नहीं देता तब तक उसे चैन नहीं पड़ता। अभिमानी व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता। बड़े पुरुष सदा विनयवान होते हैं, कहा भी गया है। बड़े बड़ाई ना करे, बड़े ना बोले बोल। हीरा मुख से ना कहे, लाख हमारा मोल। जैसे हीरे की कीमत स्वयं ही हो जाती है वैसे ही मनुष्य का कद उसके आचरण व्यवहार से प्रकट हो जाता है। दुनिया में आज तक ऐसी कोई मशीन नहीं बनी है जो अहंकार को तोल सके। रावण, कंस, दुर्योधन का विनाश अहंकार के कारण ही तो हुआ है। जितनी भी महान आत्मा उत्थान को प्राप्त हुई है वे सभी विनम्र थी। अहंकार से शून्य थी। अगर उन्नति करना चाहते हो तो झुकने की कला सीख लो। आंधी-तूफान में बेत का पौधा झुक जाता है और बच जाता है, जबकि अन्य अपेक्षाकृत बलशाली पेड़ अपनी अकड़ के कारण धराशाई हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि कर्मों का लेखा-जोखा कुल व जाति पर नहीं, बल्कि अपने आचरण पर आधारित है। आपको किस बात का अहंकार है। आपसे पहले भी दुनिया थी. आप के बाद भी दुनिया रहेगी। हमें दूसरे के दोषों को देखना बंद कर अपने दोषों को देखो और मार्दव धर्म को जीवन में धारण करें। अहंकार का विसर्जन कर देने पर छोटा व्यक्ति भी महान हो सकता है और जीवन में अहंकार आ जाए तो महान व्यक्ति भी छोटा बन जाता है। अत: इस महान पर्व में हम अपने अंदर के अहंकार रूपी कचरे को छोडक़र अपने आचरण और विचार को पवित्र बनाने का प्रयास करें।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शोभालाल जैन, नवीन कुमार, नितिन कुमार, नैतिक कुमार, भावना, गदिया, पंकज गदिया, संजय शील चंद जैन, संदीप सनत कुमार जैन, प्रकाश, अनिल, आलोक, सुरेश, विनोद, अभिषेक, अभिनंदन, अभिनव, अरिंजय, आदि मोदी, सुमन लता, सुमन, अंशु नेहा आदि उपस्थित रहे।