
राजिम. शहर से पांच कोस की दूरी पर स्थित बम्हनी स्थित ब्रह्मनेश्वरनाथ महादेव में शनिवार मकर सक्रांति के अवसर पर हजारों की संख्या में पंचकोशी यात्रा एक साथ शिवलिंग का जलाभिषेक किया।
उल्लेखनीय है कि पंचकोशी यात्री प्रतिदिन 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। इसे तय करने में उन्हें घंटों समय लग रहा है। बता देना जरूरी है कि सुबह साढ़े तीन बजे सिर में अपने रोजमर्रा के सामान को लादकर महादेव और राम सिया राम नाम का उच्चारण करते हुए निकलते हैं। रास्ते भर कहीं पर पथरीले तो कहीं पर रेतीले सड़क को पार करते हुए आगे बढ़ते हैं। इनमें से कई यात्री लगातार पिछले 3 दिनों से चलने के कारण उनके पांव दर्द करने लगे हैं। मोहन, दिनेश, पवन, पंकज, दुर्गेश, बिसंभर ने बताया कि दर्द करने के कारण चलना मुश्किल हो रहा है, फिर भी उनकी आस्था प्रबल है और पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि बाबा भोलेनाथ यात्रा को अवश्य पूर्ण करेंगे।
जैसे ही वे चंपारण से निकले उसके बाद सेमरा में बकायदा रामधुनी का कार्यक्रम चल रहा था, वहां पंचकोशी यात्री रुककर जलपान किए। आगे बढ़े तो टीला में जगह-जगह यात्रियों का स्वागत किया गया तथा महादेव में चढ़ाने के लिए फुल भी दिए। टीला एनीकट में 81 फीट ऊंची हनुमान की भव्य प्रतिमा को देखकर यात्रीगण अभिभूत हो गए और उन्हें प्रणाम करते हुए आगे बढ़े। हथखोज, बम्हनी पश्चात ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव के दरबार में पहुंचकर यात्रीगण प्रसन्न हो गए। इस दूरी को तय करने में यात्रियों के श्रद्धा के अलग-अलग रंग देखने को मिला। जुबान में ईश्वर नाम का उच्चारण और नंगे पैर कभी छोटे पत्थर से दबने से दर्द का एहसास भी आस्था की प्रबलता को सिद्ध कर रही थी।
पंचकोशी पीठाधीश्वर सिद्धेश्वरानंद महाराज ने बताया कि प्राचीनकाल में एक वीतरागी बाबा इस स्थल पर आकर तपस्या कर रहे थे। गांव वाले उन्हें देखकर कहा कि आप गांव में चले जाइए हम आपकी सेवा करेंगे। उन्होंने जाने से साफ मना कर दिया और कहा कि यह स्थल अत्यंत पवित्र है आपको यकीन नहीं होता तो यहां पर खोदकर देख लीजिए। गांव वालों ने उनके बात को सिद्ध करने के लिए उस जगह खुदाई थी तो दुग्धजल से परिपूर्ण महादेव प्रगट हुए। इसे देखकर लोगों की श्रद्धा बढ़ गई। पूछने लगे जल कहां से आ रहा है तब बताया गया कि यह साक्षात गंगा है और तुम्हें यकीन नहीं होता तो मेरे साथ जहां से गंगा निकली है वहां चलिए। गांव के दो मुखिया को लेकर मुनि चले गए और वहां एक छड़ी को छोड़ दिया ठीक 1 महीने बाद वह छड़ी इसी स्थान के जल में निकला। बताया जाता है कि यहां जो जल निकल रहा है उनका संबंध सीधे गंगा जल से है।
Published on:
15 Jan 2023 07:49 pm
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