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CG Crime News: बैंक का ‘ब्लैंक चेक’ बना सस्पेंस अकाउंट, SBI मैनेजर ने उड़ाए 2.78 करोड़… जानें कैसे?

Crime News: ईओडब्ल्यू ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इंटरनल एकांउट से करोड़ों रुपए का गबन करने वाले मैनेजर विजय कुमार आहके को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बैंक के करोड़ों रुपए निकालने के बाद अपनी पत्नी के एकांउट के साथ ही ट्रेड किया।

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गिरफ्तार (photo-patrika)

गिरफ्तार (photo-patrika)

CG Crime News: ईओडब्ल्यू ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इंटरनल एकांउट से करोड़ों रुपए का गबन करने वाले मैनेजर विजय कुमार आहके को गिरफ्तार किया। आरोपी ने बैंक के करोड़ों रुपए निकालने के बाद अपनी पत्नी के एकांउट के साथ ही ट्रेड किया। शिकायत मिलने पर ईओडब्ल्यू ने उसके घर पर छापेमारी की। इस दौरान तलाशी में महत्वपूर्ण दस्तावेज एवं इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मिले। इसे जांच के लिए जब्त किया गया है। साथ ही इस घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

जांच के दौरान पता चला कि शाखा प्रमुख रहते हुए आरोपी द्वारा बैंक के महत्वपूर्ण इंटरनल ऑफिस अकाउंट (सस्पेंस अकाउंट- जिसकी कोई लिमिट तय नहीं है) जिसे अपने ट्रेंडिंग की लत को पूरा करने के लिए ब्लैंक चेक के तौर पर उपयोग किया। साथ ही योजनाबद्ध तरीके से 2 करोड़ 78 लाख 25491 रुपए की अवैध निकासी कर अपने एवं अपनी पत्नी के खाते में जमा कराया।

बता दें कि एससबीआई के मुख्य मैनेजर, स्पेशलाइज्ड करेंसी मैनेजमेंट शाखा जो कि एक अत्यंत संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण शाखा है। इसका कार्य अन्य शाखाओं को कैश पहुंचाने व मैनेज करना है। इस शाखा में विजय प्रमुख के तौर पर पदस्थ था।

शातिर आरोपी

ईओडब्ल्यू ने एसबीआई से शिकायत मिलने पर प्रकरण की जांच कर विजय कुमार को गिरफ्तार किया। बताया जाता है कि तलाशी के दौरान उसके घर से घोटालेबाजी के साक्ष्य मिले है। वहीं, प्रकरण में अन्य अपराधी अधिकारियों और उनकी भूमिका के संबंध में पूछताछ एवं अग्रिम विवेचना की जा रही है।

फर्जी एंट्री की

आरोपी द्वारा रेड फ्लैग इंडिकेटर जो कि एक बैंक में स्थापित मानक है। उसको बायपास कर निर्धारित समय जो कि तीस दिन होता था, उससे पूर्व ही मल्टीपल फेक एंट्रीज कर रोलओवर कर दिया गया, ताकि सिस्टम में कोई भी अलर्ट जनरेट न हो सके। इसके जरिए 3-4 फेक एंट्रीज की गई और बाद के महीनों में मल्टीपल फेक एंट्रीज की गई। किसी भी सहकर्मी और सुपरवाइजरी अधिकारी द्वारा इन फेक एंट्रीज को डिटेक्ट नहीं किया गया। बाद में इस रकम को क्रिप्टो करेंसी, ऑप्शंस और कमोडिटी ट्रेंडिंग में धन ऐप और डेल्टा एक्सचेंज के माध्यम से निवेश कर शासकीय राशि का गबन किया गया।