
गुलाब फूल की खेती (Photo Canva)
CG News: छत्तीसगढ़ में फूलों की खेती एक लाभदायक और आकर्षक कृषि व्यवसाय है। इसमें फूलों का उत्पादन, रख-रखाव, विपणन और सजावट के लिए उपयोग शामिल होता है। भारत में जलवायु और भूमि की विविधता के कारण यह खेती बहुत अच्छी तरह से की जा सकती है। सरगुजा जिले के किसान दिनेश कुमार सिंह ने जब गुलाब की खेती शुरू की, तो शायद खुद भी नहीं जानते थे कि यह निर्णय उनकी किस्मत बदल देगा।
आज वे दो एकड़ जमीन में पॉली हाउस के जरिए डच गुलाब की उन्नत खेती कर रहे हैं और प्रतिदिन 5,000 से अधिक गुलाब के फूलों का उत्पादन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। उनकी इस सफलता ने जिले के अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित किया है कि कैसे पारंपरिक खेती से हटकर नवाचार और आधुनिक तकनीक अपनाकर कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
दिनेश सिंह पहले की तरह धान की खेती कर रहे थे, जिसमें लागत तो अधिक थी लेकिन आमदनी बेहद कम। मौसम पर पूरी तरह निर्भर यह खेती हर साल नुकसान की आशंका लेकर आती थी। इस बीच जब उन्हें उद्यानिकी विभाग से गुलाब की खेती के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने पॉली हाउस बनाकर फूलों की खेती का निश्चय किया। नाबार्ड से 63 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और उद्यानिकी विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन लेकर उन्होंने लगभग 1.30 करोड़ रुपये की लागत से पॉली हाउस का निर्माण किया, जिसमें से 93 लाख रुपये उन्होंने बैंक ऋण के रूप में लिए।
दिनेश के पॉली हाउस में डच रोज़ के साथ जुमेलिया और टॉप सीक्रेट प्रजाति के गुलाब उगाए जा रहे हैं। पॉली हाउस में वर्षभर खेती की जा सकती है। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम, तापमान नियंत्रित करने के लिए फोगर सिस्टम तथा पौधों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित माली द्वारा ‘वाइंडिंग’ की व्यवस्था की गई है। कमजोर कलियों को काटकर दो नई कलियों का विकास किया जाता है, जिससे फूलों की गुणवत्ता व उत्पादन दोनों बेहतर होता है।
दिनेश बताते हैं कि गुलाब की मांग पूरे वर्ष बनी रहती है। सामान्य दिनों में एक गुलाब की कीमत 4 से 5 रुपये होती है, जबकि शादी-ब्याह और त्योहारों के सीजन में यही कीमत 15 से 20 रुपये तक पहुंच जाती है। उनके गुलाब की मांग न केवल छत्तीसगढ़ में है, बल्कि उड़ीसा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से भी ऑर्डर मिलते हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत उन्हें पॉली हाउस निर्माण, ड्रिप सिस्टम और अन्य बुनियादी जरूरतों के लिए शासन की ओर से सहायता मिली। साथ ही, उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें उन्नत खेती की तकनीकी जानकारी दी, जिससे उनकी खेती व्यवस्थित और व्यावसायिक रूप ले सकी।
गुलाब की खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक है, बल्कि इसमें मानसिक सुकून भी है। उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती में जहां मौसम और बाजार की अनिश्चितता रहती थी, वहीं गुलाब की खेती में कम समय, कम पानी और सीमित संसाधनों में बेहतर आमदनी हो रही है। सिर्फ एक साल में उन्होंने लगभग 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है। दिनेश सिंह की यह सफलता आज सरगुजा के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रही है।
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Updated on:
24 Jul 2025 02:16 pm
Published on:
24 Jul 2025 02:13 pm
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