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CG Pink Village: छत्तीसगढ़ का पहला गुलाबी गांव बन चूका स्वच्छता का प्रतीक, गांववासियों ने रच दिया इतिहास, जानें क्या है पूरी कहानी

CG Pink Village: नानकसागर गाँव को आज पूरे देश में “पिंक विलेज” (गुलाबी गाँव) के नाम से जाना जाता है। यह गाँव स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है।

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CG Pink Village: छत्तीसगढ़ का पहला गुलाबी गांव बन चूका स्वच्छता का प्रतीक, गांववासियों ने रच दिया इतिहास, जानें क्या है पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ का पहला गुलाबी गांव (Photo Youtube)

CG Pink Village: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित नानकसागर गाँव को आज पूरे देश में “पिंक विलेज” (गुलाबी गाँव) के नाम से जाना जाता है। यह गाँव स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है, जहाँ सभी घरों को गुलाबी रंग से रंगा गया है। यह अनोखी पहल सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि स्वच्छता अभियान और खुले में शौच मुक्त समाज की दिशा में एक ठोस कदम थी। गुलाबी गाँव सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि सोच में आया बदलाव है। यह दिखाता है कि जब एक गाँव जागरूक होता है, तो वह पूरे देश के लिए रंगीन प्रेरणा बन सकता है।

गाँव के लोगों ने यह संकल्प लिया कि जिस घर में शौचालय होगा, वही घर गुलाबी रंग में रंगेगा। यह पहल धीरे-धीरे पूरे गाँव में फैल गई, और आज नानकसागर पूरे भारत के लिए सामुदायिक भागीदारी और विकास की मिसाल बन चुका है। यह गाँव दर्शाता है कि अगर इरादा मजबूत हो और समुदाय साथ आए, तो साफ-सफाई और सामाजिक बदलाव एक सुंदर रंग की तरह जीवन में उतर सकते हैं।

गुलाबी गाँव की अनूठी कहानी

इस पहल की शुरुआत गाँव के मुखिया द्वारा हुई, जिन्होंने निर्णय लिया कि जिन घरों में शौचालय होंगे, उन्हें गुलाबी रंग से रंगा जाए, ताकि स्पष्ट रूप से पता चले कि किन घरों में अभी शौचालय की आवश्यकता है। शुरुआत में लगभग 50 घरों को गुलाबी रंग दिया गया था, लेकिन स्वच्छता और जागरूकता अभियान के चलते एक वर्ष के भीतर पूरे गाँव (करीब 206 घर) गुलाबी रंग से रंगे गए। गाँव वासियों ने स्वयं सफाई, पौधरोपण और शौचालय निर्माण का काम किया, जिससे खुले में शौच की प्रवृत्ति समाप्त हुई।

गांव वालों के खिलाफ थाने में नहीं है कोई मामला दर्ज

पिंक विलेज का एक भी केस चाहे वह जमीन संबंधी हो मारपीट का हो या न्यायालय संबंधी गांव में ही बैठक कर समाधान किया जाता है। कोर्ट कचहरी या थाना पुलिस का केस देखने को नहीं मिलता। गांव की इस पहल को भावी पीढ़ी भी सहेजे हुए हैं। स्वच्छता से लेकर नशा और पॉलिथीन से मुक्त रखने के प्रयास में युवा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।