
जितेंद्र दहिया@रायपुर. शहर में ध्वनि प्रदूषण मापने वाले चार ऑटोमेटिक स्टेशन संवेदनशील स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए एम्स, सिटी कोतवाली, पंडरी जिला अस्पताल के पास और शंकरनगर में जगह का चिह्नांकन किया है। यह मॉनीटरिंग सिस्टम सेंसर तकनीक पर काम करेगा। इसके लिए 15 मई तक सिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य है। चारों स्टेशनों को स्थापित करने पर करीब 65 लाख रुपए खर्च होंगे। यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से मिली है। अभी रायपुर शहर में ध्वनि प्रदूषण की जांच मैनुअल होती है। नया सिस्टम संवेदनशील इलाकों में शोरगुल से निकलने वाली तरंगों को चौबीसों घंटे अवशोषित करेगा। इन तरंगों की तीव्रता के मुताबिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अगले माह तक इस सिस्टम के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
ऑनलाइन दिखेगी रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (पीईसीबी) की वेबसाइट पर भी रिपोर्ट उपलब्ध रहेगी। इन स्टेशनों के जरिए तय मापदंड से अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले इलाकों पर नजर रखी जा सकेगी। यही रिपोर्ट रायपुर समेत प्रमुख शहरों में लगे इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले पर लाइव दिखाई देगी।
ध्वनि प्रदूषण के नुकसान
ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ापन। क्रोध, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन। श्रवण शक्ति कमजोर होना। अनिद्रा और सिर दर्द।
छत्तीसगढ़ में पहली बार
वयस्कों की तुलना में बुजुर्गों और बच्चों को अधिक नुकसान होने का खतरा रहता है। पालतू जानवारों, वन्यप्राणियों पर भी विपरीत असर पड़ता है। ज्यादा शोर के कारण मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारियों जैसे, हाईब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है, ऐसे में तो हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है।
ध्वनि प्रदूषण मापने वाला स्टेशन पहली बार रायपुर में स्थापित किया जा रहा है। अगले चरण में इन्हें बिलासपुर, अंबिकापुर, दुर्ग में भी लगाया जाएगा। पीसीबी ने इन स्टेशनों के लिए जरूरी उपकरणों की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिया है।
-डॉॅ. मान्य ठाकुर, ईएनटी स्पेशलिस्ट, आंबेडकर अस्पताल, रायपुर
सीपीसीबी द्वारा ध्वनि के लिए तय स्तर (डेसीबल में)
क्षेत्र दिन रात
औद्योगिक क्षेत्र 75 70
व्यावसायिक क्षेत्र 65 55
रहवासी क्षेत्र 55 45
साइलेंस जोन 55 40
जेल जाने का भी प्रावधान
पीईसीबी के अधिकारियों की टीम इस रिपोर्ट के आधार पर मॉनीटरिंग करेगी और जिम्मेदारों को चिह्नित करेगी। इस आधार पर संबंधितों को नोटिस दिया जाएगा। इसके बाद शोर मचाने वाले पर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले लोगों को कोलाहल अधिनियम के तहत जेल भी जाना पड़ सकता है।
इसके लिए एक बार और निविदा निकाली गई थी, इसमें सिंगल बिडर आया था। फिर से निविदा प्रक्रिया की गई है। मई माह में सिस्टम स्थापित कर दिया जाएगा।
आर.पी. तिवारी, सदस्य सचिव, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड
Updated on:
10 Apr 2023 04:01 pm
Published on:
10 Apr 2023 03:54 pm
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