
रायपुर. विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर सरकार और राजभवन के बीच उठा विवाद आखिरकार सुलझ गया। बुधवार को राजभवन में राज्यपाल अनुसुईया उइके और संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे के बीच करीब दो घंटे की चर्चा के बाद विशेष सत्र की मंजूरी मिल गई। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने 27 और 28 अक्टूबर को आयोजित होने वाले विशेष सत्र की अधिसूचना जारी कर दी।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद संसदीय सचिव रविन्द्र चौबे ने कहा, वे राज्यपाल से सौजन्य मुलाकात के लिए गए थे। इस दौरान सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा हुई है। उन्होंने राजभवन से टकराव की चर्चाओं को साफ तौर पर खारिज किया। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा, राज्यपाल को विशेष सत्र के दौरान विधिक विषयक कार्यों को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है। उन्होंने पंजाब के संदर्भ में कहा, पंजाब और छत्तीसगढ़ की परिस्थिति अलग है। पंजाब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एफसीआई खरीदी करती है। यहां एफसीआई खरीदी करेगी तो हम उस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
यह था विवाद
राजभवन ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के प्रस्ताव पर सरकार से जानकारी मांगी है। राज्यपाल ने पूछा था कि सत्र के दौरान कौन-कौन से शासकीय विधि विषयक कार्य होंगे? बाद में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साफ किया कि पूर्ण बहुमत की सरकार है और विधानसभा का सत्र बुलाने से कोई नहीं रोक सकता। मरवाही उप चुनाव का हवाला देकर सत्र को रोकने के लिए भाजपा ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में जाकर ज्ञापन भी सौंपा था।
मंडी अधिनियम में होगा संशोधन
राज्य सरकार विशेष सत्र के जरिए छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी अधिनियम 1972 में आवश्यक संशोधन करना चाहती है। सरकार का कहना है, छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर 2020 से धान की खरीदी होने जा रही है। शीतकालीन सत्र दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही होगा। अत: यह आवश्यक है कि वर्तमान प्रस्तावित विशेष सत्र 1 दिसंबर से पूर्व ही आहूत किया जाए।
हाल ही में संसद द्वारा कृषि क्षेत्र में तीन नये कानून बनाए गए है। इससे प्रदेश के किसानों का हित प्रभावित होगा। किसानों के हितों को सुरक्षित रखने विधानसभा के माध्यम से नया कानून बनाया जाएगा।
-रविन्द्र चौबे, संसदीय कार्यमंत्री
Published on:
21 Oct 2020 10:57 pm
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
