
अपनी माटी के कलाकारों के साथ लोकल से ग्लोबल हुए हबीब तनवीर
रायपुर हबीब तनवीर वो शख्स थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी अस्मिता को विश्वपटल पर पहचान दिलाई। वे छत्तीसगढ़ी को लेकर पूरी दुनिया मंे गए। जब लोग छत्तीसगढ़ को नहीं जानते थे, तो दुनियाभर में उन्होंने परिचय कराया। वे एक एेसे व्यक्ति थे जो रायपुर से शुरुआत कर ग्लोबल तक पहुंचे। इसके बाद वे जड़ों की ओर लौटे और उन्हें लगा कि मुझे ग्लोबल होना है तो लोकल होना पड़ेगा। यह कहना है जनमंच के प्रमुख सुभाष मिश्रा का। वरिष्ठ रंगकर्मी हबीब तनवीर की पुण्यतिथि पर थियेटर से जुड़े लोगों ने ऑनलाइन गोष्ठी आयोजित की। इसमें इंदिराकला संगीत विवि खैरागढ़ से योगेंद्र चौबे, छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट से रचना मिश्रा और गौरव मुजेवार शामिल हुए। नेट कनेक्टिीविटी में प्रॉब्लम के चलते जूम की बजाय वीडियो कॉलिंग से गोष्ठी आयोजित हुई। मिश्रा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ के साथियों को लेकर जब पहली बार 'मित्ती की गादीÓ नाटक किया तो देश में कुछ ही लोग थे जिन्होंने इस प्रयास को सराहा। बाकियों को लगा कि ये किन लोगों को लेकर आ गए। उन्हें यहां की लोककला और कलाकारों पर पूरा भरोसा था। इसके बाद आगरा बाजार किया।
नाटकों के गीतों के कई ऑडियो कैसेट तैयार
गौरव ने बताया, छठवें दशक की शुरुआत में नई दिल्ली में हबीब तनवीर की नाट्य संस्था 'नया थियेटरÓ और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना लगभग एक समय ही हुई। यह उल्लेखनीय है कि देश के सर्वश्रेष्ठ नाट्य संस्था राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पास आज जितने अच्छे लोकप्रिय व मधुर गीतों का संकलन है, उससे कहीं ज्यादा संकलन 'नया थियेटरÓ के पास मौजूद हैं। एच.एम.वी. जैसी बड़ी संगीत कंपनियों ने हबीब तनवीर के नाटकों के गीतों के कई ऑडियो कैसेट भी तैयार किए, जो बहुत लोकप्रिय हुए।
Published on:
09 Jun 2020 01:24 am
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