
इस जवान युद्ध में पाकिस्तान के हाजी पीर पर फहराया था तिरंगा, यह है देश के जांबाज बेटे की कहानी
रायपुर . राजधानी के एक लाल ने पाकिस्तान में फतह का तिरंगा फहरा कर देश के साथ ही छत्तीसगढ का गौरव बढ़ाया था। 84 साल के सेवानिवृत कर्नल आरपी पाण्डेय शहीद राजीव पाण्डेय के पिता है। भारत-पाक युद्ध के बाद 28 अगस्त 1965 को उन्होंने पाक हाजी पीर पर भारत की विजय ध्वज को लहराया था। कर्नल आरपी पाण्डेय का छोटा बेटा राजीव पाण्डेय उनके ही आदर्शों मे चलकर 1974 के युद्ध में लड़ते हुए शहादत दी थी।
बतादंे कि आरपी पाण्डेय 1965 के अलावा 1971 के युद्ध में भी शरीक हुए थे। आरपी पाण्डेय बताते हैं कि पाकिस्तान अपने आधुनिक हथियारों के दम पर उछल रहा था,लेकिन उसे नही पता था कि युद्ध सही नीतियों से जीता जाता है। उनका कहना है कि कुछ विदेश नीतियों के कारण सेना वापस लौटना पड़ा न हीं तो सेना लाहौर तक कब्जा कर लेती। 33 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना वर्दी के पांच अगस्त 1965 को कश्मीर पर हमला किया और जिसकी जवाबी कार्यवाही में भारत के सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
सेना में डॉक्टर के पद पर रहे पाण्डेय ने 1978 में देश की पहली हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की थी। उस समय वे पूना के आर्मी मेडिकल कोर में सेवाएं दे रहे थे। यद्ध में घायल सेना के एक अधिकारी की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई।
पाण्डेय बताते हैं कि पाकिस्तानियों ने कश्मीर की उरी और पुंज मंे कब्जा कर लिया था । उनका हौसला बढऩे लगा था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दोनों पहाडि़यों को आजाद कराया। इसके बाद हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के हाजी पीर दर्रे पर कब्जा कर लिया। उन्होंने अपनी यादें साझा करते हुए बताया कि 1971 के युद्ध में भी जैसलमेर में शामिल हुए थे।
उनका कहना है कि पांच अगस्त 1965 को युद्ध विराम की घोषणा हुई। जिसमें हमने अपने 3 हजार से ज्यादा सैनिकों को खोया है। जिसका दुख तो है लेकिन उन पर फर्क है कि उनके जौहर के कारण 33 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा।
Updated on:
15 Aug 2018 01:59 pm
Published on:
15 Aug 2018 01:26 pm
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