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विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच का जिम्मा एनआईए को, राज्य शासन की अपील खारिज

आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के एनआईए एक्ट के तहत किसी मामले की जांच का विशेषाधिकार एनआईए को है, उक्त एक्ट को राज्य शासन द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती। दरअसल राज्य शासन ने एनआईए एक्ट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

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रायपुर. चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड मामले की जांच का जिमा एनआईए को देते हुए राज्य शासन की अपील खारिज कर दी है। इस मामले में पीठ ने १३ नवंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे 20 नवंबर को सुनाया गया।

अपने दिए आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के एनआईए एक्ट के तहत किसी मामले की जांच का विशेषाधिकार एनआईए को है, उक्त एक्ट को राज्य शासन द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती। दरअसल राज्य शासन ने एनआईए एक्ट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने की जानकारी दी है।

मामले की पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हत्याकांड की जांच का जिमा एनआईए को देते हुए राज्य शासन को १५ दिनों में जांच से संबंधित समस्त दस्तावेज एनआईए को सौंपने के निर्देश दिए थे। इस पर शासन द्वारा आपत्ति जताते हुए स्थानीय पुलिस द्वारा मामले की जांच कराए जाने की मांग की गई। 13 नवंबर को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसे बुधवार को सुनाया गया।

ज्ञात हो कि विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड मामले में स्टेट पुलिस के साथ एनआईए जांच के कारण दोनों में टकराव की स्थिति बन गई थी। एनआईए ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस पर जांच में सहयोग नहीं करने व जांच से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया था। मामले की प्रारंािक सुनवाई के बाद जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने २५ जून को पुलिस जांच पर रोक लगा दी थी।

23 अक्टबूर की सुनवाई में एनआईए की ओर से कहा गया कि संयुक्त जांच होने के कारण केस में प्रगति नहीं हो रही है। साथ ही राज्य पुलिस सहयोग नहीं कर रही है, जांच का जिमा उसे दिया जाए। पीठ ने जांच की जिमेदारी एनआईए को देते हुए राज्य शासन को अब तक की गई जांच से संबंधित समस्त दस्तावेज एनआईए को सौंपने का निर्देश दिया है।