
World Tiger Day 2024: Story By : दिनेश यदु: छत्तीसगढ़ में बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें एआई और नई तकनीकों का उपयोग, बफर जोन का विकास और अवैध शिकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शामिल है। राज्य के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवासों को पुन:स्थापित करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं।
सूरजपुर वनमंडल में घायल बाघिन का सफल रेस्क्यू और उपचार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन ने कहा कि एआई और नई तकनीक का उपयोग करके पूरे रिजर्व में बाघों और वन्यजीवों की निगरानी की जा रही है। राज्य में टाइगर कॉरिडोर विकास और संरक्षण कार्य पर जोर दिया जा रहा है ताकि वन्यजीव सुरक्षित गलियारों से एक प्रोटेक्टेड एरिया से दूसरे में जा सकें और आबादी की तरफ रुख ना करें। अचानकमार टाइगर रिजर्व के उपसंचालक यू आर गणेश ने बताया कि अप्रैल 2024 में हुए सर्वे में बाघों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।
गार्ड्स और परिसर रक्षक जीपीएस बेस्ड एम-स्ट्राइप ऐप के माध्यम से रोजाना 10 किलोमीटर की पेट्रोलिंग करते हैं। कैमरा ट्रैपिंग और एसटीजीएफ टीम द्वारा विशेष निगरानी की जाती है। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उप निदेशक सुदीप बंसल ने बताया कि बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण कैमरा नहीं लगा पाते, लेकिन पेड़ पर नाखून के चिह्न से अनुमानित संख्या पता लगाते हैं।
वन्यप्राणी व पर्यावरण प्रेमी दीपेन्द्र दीवान ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बाघ संरक्षण की कई चुनौतियां हैं, जिनमें मानव-बाघ संघर्ष, अवैध शिकार और प्राकृतिक आवासों की कमी शामिल हैं मानव-बाघ संघर्ष को कम करने के लिए बफर जोन और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करने के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन सभी प्रयासों से बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
सूरजपुर वनमंडल के कालामांजन ओड़गी वनक्षेत्र से एक घायल मादा बाघिन का रेस्क्यू किया गया। 29 मार्च 2023 को सुबह 6 बजे उसे नंदनवन जू एवं सफारी अटल नगर, नवा रायपुर के रेस्क्यू सेंटर में लाया गया। मादा बाघिन के सिर और गर्दन पर लोहे के टंगिया के वार से गंभीर चोटें आई थीं। बाघिन के घाव अत्यंत गंभीर थे और शल्य चिकित्सा आवश्यक थी। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा, डॉ. जसमीत सिंह, डॉ. पीके चंद्रा और डॉ. सोनम ने मिलकर बाघिन का सफल उपचार किया। अब वह अचानकमार टाइगर रिजर्व में सुरक्षित रूप से विचरण कर रही है।
Updated on:
29 Jul 2024 11:46 am
Published on:
29 Jul 2024 11:44 am
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