
अब तो गुरुजीमन के चरितर ह दिनोदिन गिरत हे
पहिली अउ आजकाल के गुरुजीमन के अचार-बिचार, बेवहार म अकास-पताल के फरक हे। ऐहा तय बात आय के जेन ल सच्चा गुरु मिलगे, वोकर ले बडक़ा किसमतवाला कोनो नइये। समझो वोला भगवान मिलगे। अउ जेन ल बेईमान गुरु मिलगे त वोकर तो करम फूटगे जानंव। अब तो इस्कूल, छात्रावास, आसरममन म लइकामन के संग अतिचार, दुराचार होवत हे। ऐकर सेती लइकामन ल गुरुजीमन से डर लागे बर धर लेहें। लइकामन ल का, वोकर दाई-ददा, परवार, आस-परोस सबो के मन म डर समा गे हावंय।
जुन्ना समे म होवत रहिन सादा जीवन अउ उच्च बिचार वाले गुरुजी। अतेक गुरतुर बोली के दाई-ददा के मया के सुरता भुला जाय। लोगनमन गुरुजी ल भगवान ले बडक़ा मानंय। काबर के गुरुजी ह बतावय के भगवान कउन ए, कइसे होथे, का करथे, कहां रहिथे, का-का नाव के होथे। जुन्ना गुरुजीमन भले आज के गुरुजीमन कस रंग-रंग के जिनिस नइ पढ़ावत रहिन, फेर लइकामन ल संस्कारवान, ईमानदार, चरितवान अउ सच्चा मनखे बनाय बर जिनगीभर लगे रहंय।
आज के गुरुजीमन तो बस नउकरीभर करथें। इस्कूल लगे के समे के पीछू अवई, इसकूल बंद होय के पहिली जवई ह जादाझन गुरुजीमन के आदत होगे हे। कभु समे म इस्कूल आथें, बंद होवत ले रहिथें तभो ले लइकामन खेलत रहिथें, चिल्लावत रहिथें। फेर, पाछू जमाना के गुरुजी ह कोनो खांस भर देतिस ततके म जम्मो लइकामन के सुकुरदुम होय जाय। तब के गुरुजीमन चौबीसों घंटा गुरुजी रहंय। गियान बांटत रहंय। सच अउ अहिंसा के रद्दा म चले के सीख देवत रहंय। हमर जुन्ना रास्टरपति डॉ. राधाकरिसनन ह घलो गुरुजी रिहिस। वोकरे सुरता म पांच सितंबर के दिन वोकर जनमदिन ल सिक्छक दिवस के रूप म मनाथंन।
फेर, अब देखव आज के गुरुजीमन ल! नउकरी बजाना हे कहिके समे काटथें। कब महीना पुरही, त कब तनखा झोकबो तेकर चिंता रहिथे। फेर, लइकामन के पढ़ई-लिखई बने होवत हे के नइ, कांही जानथें के नइ, तेकर फिकर नइ करंय। अतकेच नइ, अब तो इस्कूल अउ आसरममन म लइकामन के सारीरिक सोसन होवत हे।
गुरुजीमन के चरितर ह अतेक गिर गे हावंय के वोकरमन के करम ल देख के ‘राक्छसमन’ ल घलो सरम आ जही। राक्छसमन बुरा काम ऐकर सेती करंय के वोकरमन के परजाति म वोइसने करम करे के राहय। फेर, गुरुजीमन के करम ह तो सिक्छा दे, संस्कारवान मनखे बनाय के आय। त ऐमन राक्छस कस करम काबर करत हें?
‘एक मछरी ह तरिया ल गंदा कर देथे’, वोइसने सुआरथी, दुराचारी, हवसी गुरुजीमन सब्बो गुरुजीमन के नाव ल बदनाम करदिन। गुरु-सिस्य के पबितर नता म कलंक लगादिन। भगवान ह कांही अइसन कर दंय के समाज अउ मानवता के दुसमन गुरुजीमन के मुंहु ह कोइला कस करिया होय जाय। ताकि, चरितरहीन गुरुजीमन अलगेच ले पहिचान आय जाय।
गुरुजीमन के गिरत चरितर, नान-नान लइकामन के होवत सारीरिक-मानसिक सोसन अउ वोकर दाई-ददामन के चिंता-फिकर ल देख-सुन के अउ का-कहिबे।
Published on:
05 Sept 2022 04:46 pm
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