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करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी 1 नवम्बर को, सर्वार्थ सिद्धि और शिवयोग में मनाई जाएगी

Karva Chauth and Sankashti Chaturthi : इस बार करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी का व्रत 1 नवम्बर को मनाया जाएगा।

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करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी 1 नवम्बर को, सर्वार्थ सिद्धि और शिवयोग में मनाई जाएगी

करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी 1 नवम्बर को, सर्वार्थ सिद्धि और शिवयोग में मनाई जाएगी

रायपुर। Karva Chauth and Sankashti Chaturthi : इस बार करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी का व्रत 1 नवम्बर को मनाया जाएगा। इस बार सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग बनने से यह व्रत खास हो गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दिभर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रमा निकलने के बाद ही उपवास खोलती है।
पं. नवनीत व्यास ने बताया कि इस बार करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाया जाएगा। इसी दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6.33 बजे से 2 नवम्बर को सुबह 4.36 बजे तक रहेगा। इसका अलावा 1 नवम्बर की दोपहर 2.07 बजे से शिव योग शुरू हो जाएगा।

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चांद न दिखे तो भी कर सकते हैं पूजा

जानकारों का करना है कि सूर्य-चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते। पृथ्वी के घूमने की वजह से बस दिखाई नहीं देते। देश के कई हिस्सों में भौगोलिक स्थिति या मौसम की खराबी के चलते चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में ज्योतिषीय गणना की मदद से चांद के दिखने का समय निकाला जाता है। उस हिसाब से पूर्व-उत्तर दिशा में पूजा कर के अर्घ्य देना चाहिए। इससे दोष नहीं लगता।

पति के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से

पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरुआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे। दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।

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जानिए करवा चौथ से जुड़ी परंपरा

करवा चौथ पर चांद की ही पूजा क्यों ?
चंद्रमा औषधियों का स्वामी है। चांद की रोशनी से अमृत मिलता है। इसका असर संवेदनाओं और भावनाओं पर पड़ता है। पुराणों के मुताबिक चंद्रमा प्रेम और पति धर्म का भी प्रतीक है। इसलिए सुहागिनें पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में प्रेम की कामना से चंद्रमा की पूजा करती हैं।

पति और चंद्रमा को छलनी से क्यों देखते हैं?
भविष्य पुराण की कथा के मुताबिक चंद्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। इस कारण चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से दोष लगता है। इससे बचने के लिए चांद को सीधे नहीं देखते और छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

करवा से पानी क्यों पीते हैं ?
इस व्रत में इस्तेमाल होने वाला करवा मिट्टी से बना होता है। आयुर्वेद में मिट्टी के बर्तन के पानी को सेहत के लिए फायदेमंद बताया है। दिनभर निर्जला रहने के बाद मिट्टी के बर्तन के पानी से पेट में ठंडक रहती है। धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो करवा पंचतत्वों से बना होता है। इसलिए ये पवित्र होता है।