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MBBS फाइनल ईयर रिजल्ट घोषित! 90 फीसदी छात्र हुए पास, जाने पूरी details…

CG MBBS Result 2025: रायपुर पं. दीनदयाल उपाध्याय हैल्थ साइंस एंड आयुष विवि ने आखिरकार डेढ़ माह में एमबीबीएस फाइनल ईयर भाग-2 का रिजल्ट मंगलवार को घोषित कर दिया।

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Medical College in cg

Medical College in cg ( File Photo - Patrika )

CG MBBS Result 2025: छत्तीसगढ़ के रायपुर पं. दीनदयाल उपाध्याय हैल्थ साइंस एंड आयुष विवि ने आखिरकार डेढ़ माह में एमबीबीएस फाइनल ईयर भाग-2 का रिजल्ट मंगलवार को घोषित कर दिया। इसमें 90 फीसदी छात्र पास हुए। जानकारों का मानना था कि ऑनलाइन मूल्यांकन के कारण रिजल्ट इतना बेहतर नहीं आएगा, लेकिन हुआ इसका उल्टा। पास सभी छात्र संबंधित मेडिकल कॉलेजों में एक साल की इंटर्नशिप करेंगे। इसके बाद दो साल की बांड सेवा में जाएंगे।

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CG MBBS Result 2025: ऑनलाइन मूल्यांकन...

प्रदेश के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में पिछले पौने दो माह से एक भी इंटर्न छात्र नहीं है। दरअसल, विवि रिजल्ट नहीं निकाल पाया था। 28 फरवरी को सभी छात्र इंटर्नशिप पूरी कर जा चुके हैं। फाइनल का रिजल्ट आने के बाद नई बैच की इंटर्नशिप शुरू होगी। कॉलेजों में पोस्टिंग में चार से पांच दिन लग जाएंगे। फाइनल की परीक्षा 14 से 24 फरवरी तक हुई थी। वहीं 25 फरवरी से 10 मार्च तक प्रैक्टिकल हुआ था।

पत्रिका ने अप्रैल के चौथे हते में रिजल्ट जारी करने की संभावना जताई थी। परीक्षा में 1067 छात्र शामिल हुए थे। इनमें 918 छात्र पास हुए हैं। 52 छात्रों का रिजल्ट रोक दिया गया है। परीक्षा में मेडिसिन के अलावा ऑब्स एंड गायनी, पीडियाट्रिक्स व जनरल सर्जरी के परचे हुए थे।

एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार, 1 अप्रैल से छात्रों की इंटर्नशिप शुरू हो जानी थी। अब इसमें करीब 26 से 27 दिनों की देरी हो जाएगी। ये छात्र 2020 बैच के हैं। वहीं, 2019 बैच के छात्रों की इंटर्नशिप 28 फरवरी को पूरी हो चुकी है। यानी किसी भी कॉलेज में एक भी इंटर्न छात्र नहीं है।

कुछ फैकल्टी ने परचा जांचने में की आनाकानी

बताया जाता है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कुछ फैकल्टी परचा जांचने में आनाकानी की। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि विवि एक परचे के लिए 56 रुपए पारिश्रमिक देता है। जबकि डॉक्टरों को प्राइवेट प्रेक्टिस में एक मरीज के कंसल्टेंट फीस के रूप में 500 रुपए या इससे ज्यादा मिल जाता है।

जानकारों के अनुसार, सरकारी कॉलेजों की फैकल्टी की उदासीनता के कारण प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी से परचे की जांच करवाई गई, ताकि रिजल्ट निकालने में देरी न हो। हालांकि कुछ केस ऐसे भी है, जिसमें प्राइवेट कॉलेज के प्रोफेसर ने परचे जांचने में आनाकानी की तो दूसरे प्राइवेट कॉलेज के टीचर से परचों का मूल्यांकन करवाया गया, तब जाकर फाइनल ईयर का रिजल्ट निकल पाया है।