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अमरनाथ की तरह साल में सिर्फ एक ही बार खुलता है इस रहस्यमयी गुफा का गेट

हमने भगवान भोलेनाथ को समर्पित ऐसी कई गुफाओं के बारे में सुना है जो साल में एक बार कुछ समय के लिए खुलती है जैस- अमरनाथ के बाबा बर्फानी, केदारनाथ आदि। छत्तीसगढ़ में भी भगवान भोलेनाथ को समर्पित ऐसी एक गुफा है जो साल में सिर्फ एक बार खुलती है वो भी केवल एक दिन के लिए।

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Manship khol cave

अमरनाथ की तरह साल में सिर्फ एक ही बार खुलता है इस रहस्यमयी गुफा का गेट

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) अपने अंदर कई रहस्यों और राज को समेटे बैठा है। ऐसे राज जो लोगों की धर्म (religion) और आस्था से जुड़े हुए हैं। भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) के प्रसिद्ध स्थान अमरनाथ (Amarnath) और Kedarnath के बारे में तो हर कोई जानता है। यह मंदिर साल में एक ही बार भक्तों के लिए खुलते हैं। छत्तीसगढ़ में भी भगवान भोलेनाथ को समर्पित एक ऐसी ही गुफा है, जिसका द्वार साल में सिर्फ एक बार खुलता है।

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से करीब 80 किमी दूर बसी है सहस्यमयी मंढीप खोल गुफा। जिसे परंपरा के अनुसार साल में सिर्फ एक बार अक्षय तृतिया के बाद पहले सोमवार को खोला जाता है। इस गुफा में भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। जिनके दर्शन करने पथरीले व कच्चे रास्तों के साथ पहाड़ से बहने वाली एक ही नदी को 16 बार अलग-अलग जगहों पर पार कर आना पड़ता है।

साल में केवल एक दिन के लिए खुलने वाले इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भक्त रात से ही कतार में लगे होते हैं। इस शिवलिंग के दर्शन करने केवल छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों जैसे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी लोग पहुंचते हैं।

इस गुफा का द्वार परंपरा के अनुसार अक्षय तृतिया के पहले सोमवार को यहां के लाल रोहित सिंह पुलस्तय के हाथों खुलता है। इसके बाद राजपरिवार के लोग पुरोहित के साथ पूजा अर्चना करके मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं। इसके बाद ही मंदिर में बाकी श्रद्धालु दर्शन करते हैं।

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लोगों का मानना है कि यहां पर मौजूद श्वेतकुंड में स्नान करने से पुण्य मिलता है। साथ ही यहां पर स्नान करने से कुष्ठ रोगों का निवारण होता है। लोगों का मनना है कि इस कुंड में सच्ची आस्था के साथ स्नान करने से मन शांत होता है और बीमारियां दूर होती हैं।

यहां के पुरोहित ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में यहां के जमींदार ठाकुर टोला रियासत ने करवाया था। इस गुफा में ठाकुरटोला जमींदारों के कुलदेवता का स्थान गौरी मंदिर, दक्षिण मुखी हनुमान और शिव मंदिर (Bholenath) है। इस मंदिर की निर्माण शैली कुछ हद तक खजूराहो की निर्माण शैली की तरह ही है। इसके अलावा इस मंदिर में हीरे की तरह चमकते पत्थर भी आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। यह पत्थर लोगों को काफी आकर्षित करते हैं।

गुफा के प्रवेश द्वार पर मां गौरी और दक्षिण मुखी हनुमान विराजमान है। लोगों का मानना है कि गुफा में प्रवेश से पहले हनुमान (Lord Hanuman) व मां गौरी की पूजा की जाती है। उसके बाद ही गुफा के अंदर प्रवेश किया जाता है।

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