
Nag Panchami 2021 : कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए करें पूजा, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन कालिया नाग को यमुना नदी से भगाया था
बिलासपुर. सनातन हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। नागपंचमी का पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता व सर्पों की पूजा की जाती है। नागदेवता को दूध व धान की लाई चढ़ाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि कालिया नाग के विष के प्रभाव से यमुना नदी में विष फैल गया। किंवदंतियों में वर्णित है कि कालिया नाग जिस यमुना नदी के जिस कुंड में रहता था, उसका जल विष की गर्मी से खौलता रहता था। यहां तक कि उसके ऊपर उड़ने वाले पक्षी भी झुलसकर उसमें गिर जाया करते थे। नाग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का मान मर्दन किया और उसे यमुना नदी छोड़ कर समुद्र में जाने पर मजबूर कर दिया। इसी के शुभ अवसर पर नाग पंचमी का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई। ज्योतिष गणना के अनुसार, 13 अगस्त 2021 को पडऩे वाली नाग पंचमी के पावन पर्व पर इस बार उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। साथ ही शिन नक्षत्र भी लग रहा है। यह शिन नक्षत्र काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी होता है।
नाग पंचमी का वैज्ञानिक महत्व
सांप को पारिस्थितिक तंत्र की सबसे मजबूत कड़ी माना जाता है। सांपों को किसान का मित्र भी कहा जाता है। सांप चूहे, कीड़े, मकोड़ों, छिपकलियाें को खाता है। इसके चलते इको सिस्टम मजबूत रहता है। माना जाता है कि जुलाई-अगस्त में सांपों का प्रजनन होता है। इस कारण इनकी संख्या अधिक होती है। भय के कारण लोग इन्हें मार देते हैं। इस कारण इसको धर्म से जोड़ा गया ताकि लोग सांपों को मारना छोड़ कर इनकी पूजा करने लगें।
सांप पकड़ना और नचाना पाप
पंडित आचार्य रूपधर पंडा कहते हैं कि धार्मिक पुस्तकों में नाग पंचमी के दिन शिव की पूजा का विधान है। सांपों को पकड़ना, उनका विष निकालना क्रूरता है। हिंदू धर्म क्रूरता नहीं सिखाता है। किसी भी जीव से क्रू रता पाप है। धर्मशास्त्राें में कहीं भी सांप को दूध पिलाना नहीं लिखा है।
Published on:
13 Aug 2021 11:49 am
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