
पाटन में 22 तालाब हैं जिसमें से एक है ऑग्गर तालाब।
ताबीर हुसैन @ रायपुर. संस्कृति विभाग में चल रही संगोष्ठी 'गढ़ों का गढ़ छत्तीसगढ़' के दूसरे दिन पाटन क्षेत्र के शोधकर्ता देवेश शर्मा ने अपना रिसर्च पेपर पढ़ा। इसमें उन्होंने पाटन के इतिहास और किवंदती का जिक्र किया। वे दो दशक से अधिक समय से उस क्षेत्र में रिसर्च कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने जो शोध पत्र पढ़ा वे किसी न किसी बड़ी हस्ती को कोट करते हुए ही प्रस्तुत किया। उन्होंने दुर्ग जिले के गजेटियर में प्रकाशित तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पाटन का पुराना नाम 'अन्याय का नगर' था। यह अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टका सार खाजा को चरितार्थ करता है। बाद में पट्टन (किला) से नामकरण पाटन हो गया।
भांगपुर भी था एक नाम क्योंकि यहां के लोग भंगेड़ी थे
यहां 22 तालाब हैं और 40 टीले। किवंदती का उल्लेख करते हुए इतिहासकार प्यारेलाल गुप्त के हवाले से कहा कि एक तालाब ऐसा भी था जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें नहाने या पानी पीने से गांजा का नशा होता था। यह प्राचीन छत्तीसगढ़ के गढ़ों में से एक है। इसका पुराना नामा भांगपुर भी था। यहां के लोग भंगेड़ी और राजा की चिंता किए बिना व्यापार करते थे। यहां सब्जी और मिठाई भी 2 पैसे में बिका करती थी। वहीं डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र के शब्दों में यह बात तो पुरातत्वेद ही जाने पर इसमें कोई संदेह नहीं कि भांगपुर पाटन एक उल्टा गढ़ था जो अंधेर नगरी के लिए मशहूर था। यानी अंधेर नगरी अनबुझ राजा, टका सेर भाजी टका सार खाजा।
श्रीलंका से वापसी पाटन होकर
पद्मश्री अरुण शर्मा के हवाले से कहा कि पाटन प्राचीन व्यापारिक केंद्र था। लोग कटक और बस्तर यहां से होकर जाते थे। जब लोग अयोध्या से श्रीलंका जाया करते थे तो वापस पाटन होते हुए आते थे।
Published on:
26 Feb 2022 11:58 pm
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