
बड़ा खुलासा: तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह थे 36 हजार करोड़ के नान घोटाले के मुख्य सूत्रधार
रायपुर. Nan Scam Chhattisgarh: 36 हजार करोड़ के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले के आरोपी और पूर्व महाप्रबंधक शिवशंकर भट्ट (Shiv Shankar Bhatt) का दावा है कि भाजपा ने 2013 का विधानसभा चुनाव घोटाले की रकम से ही लड़ा था। इस घोटाले के सूत्रधार तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह थे। भट्ट ने शुक्रवार को अदालत में पांच पृष्ठों का नोटरी शपथपत्र देकर यह दावा किया है।
भट्ट के मुताबिक नान के पास 9 लाख मीट्रिक टन चावल के स्टाक के बाद भी तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 लाख मीट्रिक टन चावल का अतिरिक्त उपार्जन करने का आदेश दिया। इसके लिए उन्होंने बिना मंत्रिपरिषद का अनुमोदन लिए 236 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति गारंटी स्वीकृत की थी।
अफसरों ने आपत्ति की तो उन्होंने 6-7 अगस्त को उन्हें बुलाकर कहा, इसमें आपत्ति की जरूरत नहीं है। इसमें हमें और पार्टी को लंबी-चौड़ी रकम मिलनी है। अगर आप लोग चाहो तो आपको भी मिलेगी। भट्ट ने बताया, चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था, उन्हें चुनाव खर्च निकालना है। 2015 में होने वाले पंचायत चुनाव का फंड इक_ा करने की जिम्मेदारी भी उन्होंने खुद ली है।
भट्ट का दावा है, तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने नान के तत्कालीन अध्यक्ष लीलाराम भोजवानी को चुनावी फंड के लिए पांच करोड़ रुपए की रकम भाजपा कार्यालय के एकाउंटेंट जैन के पास जमा कराने को कहा। इस चंदे के लिए बड़े राइस मिलरों को मजबूर किया गया। भट्ट का दावा है कि एक सप्लायर के साथ रुपए भाजपा कार्यालय पहुंचाने वह खुद भी गया था।
अक्टूबर 2013 में लीलाराम भोजवानी उसे अपने साथ लेकर पुन्नूलाल मोहले को एक करोड़ रुपए देने गए थे। फरवरी 2014 में नान के तत्कालीन एमडी कौशलेंद्र सिंह ने उसे साथ लेकर मुख्यमंत्री निवास में डॉ. रमन सिंह की पत्नी वीणा सिंह को 3 करोड़ रुपए दिए। उसी दौरान कौशलेंद्र सिंह उसे ऐश्वर्या रेसिडेंसी में रेणु सिंह के यहां भी ले गए। कौशलेंद्र सिंह ने रेणु सिंह को भी 5 लाख रुपए दिए।
फर्जी राशनकार्डों की आड़ में घोटाला
भट्ट का दावा है कि चुनाव से पहले बड़े घोटाले को फर्जी राशनकार्डों की आड़ में अंजाम दिया गया। 2013 में 21 लाख फर्जी राशन कार्ड बने। चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर-नवम्बर के आवंटन में नए राशनकार्डों को शामिल करा लिया गया और खाद्यान्नों को भंडारित किया गया। लोगों को थोड़ा ही सामान मिला। इसके जरिए प्रति महीने 266 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया। साल भर में सरकार को तीन हजार करोड़ का नुकसान हुआ। विधानसभा में घोषणा के बावजूद सरकार ने 12 लाख राशनकार्ड निरस्त नहीं किए।
कौशलेंद्र सिंह पर बड़ा आरोप
शिवशंकर भट्ट (Shiv Shankar Bhatt) का कहना है कि नान का पूरा संचालन कौशलेंद्र सिंह, डॉ. रमन सिंह, पुन्नूलाल मोहले, लीलाराम भोजवानी और राधाकृष्ण गुप्ता एक गैंग बनाकर कर रहे थे। कौशलेंद्र सिंह तत्कालीन मुख्यमंत्री के रिश्तेदार थे, इसलिए कोई उनको टोक नहीं सकता था। वे चिंतामणि चंद्राकर और गिरीश शर्मा के साथ सभी सप्लायरों और राइस मिलरों से लेनदेन करते थे। दावा है कि ईओडब्ल्यू ने कृतिकांत बारिक के कम्प्यूटर से जो पन्ने बरामद किए थे, वह कौशलेंद्र सिंह के निर्देश पर गिरीश शर्मा ने ही लिखवाए थे।
रमन सिंह बोले, सबको समझ आ रहा है क्यों बदल रहे हैं बयान
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, नान का मामला न्यायालय में है। सभी गवाह बयान दर्ज करा चुके हैं। उनके बयान न्यायालय के सामने हैं। डॉ. सिंह ने कहा, राज्य में कांग्रेस की सरकार आने के बाद सभी गवाह अपने बयान क्यों बदल रहे हैं, यह राज्य की जनता को समझ में आ रहा है। उन्होंने कहा, यह बात वे भी समझ रहे हैं और न्यायालय को भी समझ में आ रहा है। अब गवाहों के पहले और बाद के बयान को देखना न्यायालय का काम है। उन्होंने कहा, आगे जो भी कार्रवाई होगी, विचारण न्यायालय में होगी। उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है।
कौन है शिवशंकर भट्ट
शिवशंकर भट्ट (Shiv Shankar Bhatt) नागरिक आपूर्ति निगम में महाप्रबंधक थे। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने 12 फरवरी 2015 को जब नान घोटाले में छापा डाला था, तो भट्ट का कार्यालय और आवास भी उसकी जद में आए। ईओडब्ल्यू ने भट्ट के पास से एक करोड़ 76 लाख रुपए नकद बरामद किया था।
इस मामले में भट्ट को गिरफतार किया गया। चार साल तक जेल में बिताने के बाद भट्ट को 2 अगस्त को पहली बार जमानत मिली है। गुरुवार को भट्ट ने न्यायालय में कलमबंद बयान देने का आवेदन दिया था। अदालत ने उसकी सुनवाई के लिए 25 सितम्बर की तारीख तय की थी।
Published on:
13 Sept 2019 10:06 pm
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