27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

National News: 2047 तक 80 बिलियन डॉलर का होगा सेमीकंडक्टर बाजार

2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस 500 बिलियन और सेमीकंडक्टर का 135 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। आजादी के 100 साल पूरे होने पर यानी 2047 में इलेक्ट्रॉनिक्स कंजम्प्शन 3 ट्रिलियन डॉलर और सेमीकंडक्टर का बाजार करीब 80 बिलियन डॉलर का होगा।

2 min read
Google source verification
National News: 2047 तक 80 बिलियन डॉलर का होगा सेमीकंडक्टर बाजार

National News: 2047 तक 80 बिलियन डॉलर का होगा सेमीकंडक्टर बाजार

ट्रिपल आईटी नवा रायपुर में शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘मेक इन सिलिकॉन’ की शुरुआत हुई। इसमें देशभर से तकनीकी विशेषज्ञ, प्रोफेसर और रिसर्चर शामिल हुए। इस दौरान आईआईटी इंदौर के प्रो. संतोष कुमार विश्वकर्मा और ट्रिपलआईटी इलाहाबाद के डायरेक्टर मुकुल शरद ने भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण, निवेश, और स्किल गैप पर विस्तार से चर्चा की।

भारत के पास बड़ा बाजार और युवाशक्ति

पत्रिका से बाचतीत में दोनों विशेषज्ञों ने माना कि भारत के पास बड़ा बाजार और युवाशक्ति है, लेकिन प्रशिक्षित मैनपॉवर की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। प्रो. विश्वकर्मा ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। साल 2023 में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस 200 बिलियन डॉलर और सेमीकंडक्टर का 40 बिलियन डॉलर था। 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस 500 बिलियन और सेमीकंडक्टर का 135 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। आजादी के 100 साल पूरे होने पर यानी 2047 में इलेक्ट्रॉनिक्स कंजम्प्शन 3 ट्रिलियन डॉलर और सेमीकंडक्टर का बाजार करीब 80 बिलियन डॉलर का होगा।

बनाने होंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और रिसर्च सेंटर

प्रो. विश्वकर्मा ने बताया कि 2021 में शुरू किया गया इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन इसी दिशा में बड़ा कदम था। इसमें मैन्युफैक्चरिंग, डिजाइन हाउस, स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप फंडिंग के लिए निवेश का रोडमैप तय किया गया। अभी इस सेक्टर को 2 से 2.5 लाख इंजीनियरों की जरूरत है, लेकिन हमारे पास केवल डेढ़ लाख प्रशिक्षित लोग हैं, वे भी मुख्य रूप से पुणे, बेंगलुरु और नोएडा जैसे शहरों में केंद्रित हैं। प्रो. विश्वकर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सेंट्रल, स्टेट और प्राइवेट इंस्टीट्यूट मिलाकर करीब 1.50 लाख इंजीनियरिंग छात्र हैं। अगर उन्हें सेमीकंडक्टर जैसे उभरते क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जाए तो राज्य इस सेक्टर में बड़ा योगदान दे सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि बीटेक इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड वीएलएसआई (वीएलएसआई) जैसे कोर्स सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुरू किए जाएं। इंडस्ट्री और अकादमिक जगत को मिलकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और रिसर्च सेंटर बनाने होंगे। इससे देश में कुशल मैनपाॅवर तैयार होगी।

निवेश नहीं, स्किल्ड मैनपाॅवर सबसे बड़ी चुनौती

ट्रिपलआईटी इलाहाबाद के डायरेक्टर मुकुल शरद ने कहा, भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की असली चुनौती निवेश नहीं बल्कि स्किल्ड मैनपाॅवर की है। आज ज्यादातर इंजीनियरिंग संस्थान कंप्यूटर साइंस, आईटी या डेटा साइंस पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन अब जरूरत है कि सेमीकंडक्टर डिजाइन और फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी पर भी उतना ही ध्यान दिया जाए। यह आने वाले समय का सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र होगा। मुकुल शरद ने कहा कि भारत डिजाइन के मामले में मजबूत है, लेकिन फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी अभी भी ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों तक सीमित है। बीटेक स्तर से ही माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और चिप डिजाइन जैसे विषय पढ़ाए जाएं तो भारत भी जल्द आत्मनिर्भर बन सकता है।