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Navratri 2021: इस बार आठ दिनों का होगा नवरात्रि पर्व, तृतीया-चतुर्थी एक ही दिन

Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि पर्व प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर से प्रारंभ होने जा रहा है। इसी दिन से देवी मंदिरों और घरों में मनोकामना ज्योति प्रज्वलित करते हैं।

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Navratri 2021

Navratri 2021: इस बार आठ दिनों का होगा नवरात्रि पर्व, तृतीया-चतुर्थी एक ही दिन

रायपुर. Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि पर्व प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर से प्रारंभ होने जा रहा है। इसी दिन से देवी मंदिरों और घरों में मनोकामना ज्योति प्रज्वलित करते हैं। जवारा बोते हैं और शक्ति उपासना में मातारानी के भक्त जुट जाते हैं। पंडितों के अनुसार इस बार कुछ ऐसा संयोग बन रहा है, जब दो तिथियों का लोप होने के कारण 9 दिनों की बजाय 8 दिनों का ही नवरात्रि पर्व होगा। क्योंकि पंचांग गणना में दो तिथियों की युति है। इसी पर आधारित राजधानी का प्राचीन महामाया मंदिर ने तिथिवार अभिषेक, पूजन का कार्ड जारी किया। देवी मंदिरों में तैयारियां शुरू हैं।

शहर के सभी देवी मंदिरों में नवरात्रि पर्व की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। रंग-रोगन करने के साथ ही मनोकामना ज्योति जलवाने वाले श्रद्धालुओं का पंजीयन किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से नवरात्रि पर्व पर न तो देवी मंदिरों में पहले जितनी संख्या में आस्था ज्योति प्रज्वलित की जा रही है, न ही भक्तों की भीड़। मातारानी के दरबार में रतजागा, जसगीत, गरबा-डांडिया की धूम भी नहीं रही। शक्ति की भक्ति श्रद्धा और मन से ही लोग अपने घरों और मंदिरों में बारी-बारी से दर्शन करके पूरा कर रहे हैं। ऐसी ही स्थिति इस बार भी बरकार है। क्योंकि कोरोना संक्रमण समाप्त नहीं हुआ है।

मां के दो रूपों की एक दिन होगी पूजा
आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से शक्ति उपासना का पर्व शुरू होता। इसी दिन से शुभ कार्य भी होने लगते हैं। क्योंकि पंद्रह दिन पितरों के नाम होते हैं। प्राचीन महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार 9 अक्टूबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि की युति है। ऐसा कभी-कभी पंचांग गणना में तिथियों के घट-बढ़ के कारण स्थिति बनती है। इसलिए तृतीया और चतुर्थी युति में मां दुर्गा के चंद्रघंटा एवं कुष्मांडा स्वरूप का अभिषेक पूजन होगा।

दुर्गा अष्टमी 13 को
महामाया मंदिर में 13 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी पर शाम 7.30 बजे से 9.30 बजे तक पूर्णाहुति हवन होगा। इसदिन रात में ज्योति कलश का विसर्जन परिसर के प्राचीन बावली में किया जाएगा। नौवीं तिथि पर कन्या पूजन और माता को छप्पन भोग लगेगा।