
Electric Buses
Electric Buses: शहर के लोगों को अभी ई-बसों से आवाजाही की सुविधा के लिए इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि, अभी तक नगर निगम की तैयारियां प्राथमिक चरण में हैं। ऐसा कोई ठोस प्लान तैयार नहीं हुआ है। एक नया डिपो बनाने के लिए नजूल जमीन आवंटित करने जिला प्रशासन को पत्र भेजा है। ई-बसों के चार्जिंग स्टेशन पर भी अभी काम शुरू नहीं हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए करीब 15 करोड़ केंद्रीय शहरी मंत्रालय से आवंटित हुआ है, लेकिन नगर निगम को रिलीज नहीं हुआ।
माना जा रहा है कि ई-बसें फरवरी-मार्च तक ही मिल सकती हैं। कोरोनाकाल के बाद से शहर के सभी हिस्सों के लोगों को सस्ती यातायात सेवाएं नहीं मिल रही हैं। जहां 69 सिटी बसें चला करती थीं, उनसे में केवल 35 के करीब ही चलाई जा रही है। इन सिटी बसों के मरम्मत के लिए 86 लाख से ज्यादा ट्रांसपोर्टर को दिया है। तो कई बसों का इंजन और पार्ट खोलकर कबाड़ किया जा चुका है। ऐसे में कुछ मागोZं पर ही सिटी बसें चलने से आउटर के क्षेत्रों के लोगों को ऑटो रिक्शा में तीन से चार गुना तक ज्यादा किराया देना पड़ रहा है।
पीएम ई-बस सेवा के तहत राजधानी रायपुर को 100 बसें मिलने की घोषणा को एक साल बीतने को है। लेकिन फंड के अभाव में इस पर अभी तक कोई ठोस काम नहीं हुआ। अभी हाल ही में निगम प्रशासन ने अपनी तैयारियों के तहत ऐसी बसों के लिए एक नया डिपो बनाने के लिए सर्वे कराया है। जिससे पता चला कि टाटीबंध चौक से भनपुरी जाने वाली सड़क से लगी हुई हीरापुर के पास करीब 4 से 5 एकड़ नजूल की जमीन है। वह जगह ट्रकों को खड़ा करने का अड्डा बन चुकी है। इसी जगह को ई-बसों के लिए डिपो बनाने के लिए निगम प्रशासन ने कलेक्टर को पत्र भेजा है, ताकि आवंटित हो सके।
निगम के अधिकारियों के अनुसार शहर के सभी हिस्सों में 100 ई-बसें चलाने के लिए दो से तीन जगहों पर डिपो बनाने की जरूरत है। निगम को फंड मिलने पर सबसे पहले आमानाका डिपो में जार्चिंग स्टेशन बनाने पर काम होगा। इसका एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया है। आमानाका डिपो में ई-बसों के लिए करीब 9 करोड़ से ज्यादा खर्च अनुमानित है।
Published on:
12 Nov 2024 08:36 am
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