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New Labour Law: 1 जुलाई से हो सकता है नए लेबर कोड लागू

New Labour Law: लागू होते हैं तो यह एक कर्मचारी के कार्यालय के काम के घंटों, उसके ईपीएफ योगदान और उसकी सैलेरी में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा.

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New Labour Law: 1 जुलाई से 4 नए लेबर कोड (New Labour Code) लागू करने की तैयारी में है. नए लेबर कोड लागू होने के बाद देश के हर उद्योग और दफ्तरों में बड़े बदलाव दिखेंगे. सबसे खास बात, नए लेबर कोड लागू होने के बाद कर्मचारी के काम के घंटे, हाथ में आने वाली सैलरी और प्रोविडेंट फंड (PF) में भी बदलाव दिखेगा. रिपोर्ट से जाहिर होता है कि सरकार 1 जुलाई से नए लेबर कोड लागू करने पर विचार कर रही है. लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है. नए लेबर कोड का असर दिहाड़ी, तनख्वाह, पेंशन और ग्रेच्युटी जैसी सामाजिक सुरक्षा, श्रम कल्याण, स्वास्थ्य, काम के घंटे, छुट्टियां आदि पर दिखेगा.

आइए जानते हैं कि नए लेबर कोड लागू होने के बाद हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी, छुट्टी और काम के घंटे में क्या बदलाव होंगे. देश के 23 राज्यों ने केंद्र के लेबर कोड के मुताबिक अपने श्रम कानून बना लिए हैं. अब बस इन कानूनों को लागू करने भर की देरी है. केंद्र सरकार ने लेबर कोड से जुड़े कानून को संसद से पारित करा लिया है.

काम के घंटे पर असर
कर्मचारियों का सबसे अधिक ध्यान काम के घंटे पर है. नए कोड में इस बात का इंतजाम है कि हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन आराम दिया जाएगा. इस हिसाब से एक दिन में अधिकतम 12 घंटे और हफ्ते में 48 घंटे काम करना होगा. इसका हिसाब लगाएं तो चार दिन के काम के मुताबिक कर्मचारी को हर दिन 12 घंटे ड्यूटी करनी होगी. कर्मचारी को इस अवधि से अधिक काम नहीं करना होगा, और न ही कंपनियां कर्मचारियों से इससे अधिक काम ले पाएंगी. अब कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे अपने काम का ढर्रा किस तरह बदलती हैं और काम को कैसे मैनेज करती हैं.

काम के घंटे के साथ ओवरटाइम को भी तय किया गया है. पहले एक हफ्ते में अधिकतम 50 घंटे का ओवरटाइम लिया जा सकता था. अब इसे बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि चार दिन काम की वजह से बाकी के तीन दिन कर्मचारी की कमी हो सकती है. इससे बाकी के तीन दिन कर्मचारी की कमी हो सकती है. इससे निपटने के लिए कंपनियां बाहर के लोगों से ओवरटाइम करा सकती हैं और अपना काम पूरा कर सकती हैं.

सैलरी और PF पर असर
नए लेबर कोड के तहत किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ग्रॉस सैलरी का कम से कम 50 परसेंट जरूर होना चाहिए. इस असर होगा कि कर्मचारियों के ईपीएफ अकाउंट में अधिक पैसे जमा होंगे. कर्मचारी के खाते से ग्रेच्युटी का पैसा भी अधिक कटेगा. इससे इन हैंड सैलरी या हर महीने हाथ में आने वाली तनख्वाह कम हो सकती है. हालांकि कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से पहले से अधिक सुरक्षित होगा. उसके रिटायरमेंट के फायदे भी बढ़ जाएंगे.

छुट्टियां कितनी मिलेंगी
नए लेबर कोड में छुट्टियों के नियम भी बदले गए हैं. पहले नौकरी की शर्त 240 दिन होती थी जिसे घटाकर 180 किया गया है. यानी कोई कर्मचारी 180 दिन या 6 महीने की ड्यूटी के बाद छुट्टी के लिए अरजी लगा सकेगा. पहले यह अवधि 240 दिन की होती थी. कमाई वाली छुट्टी या अ लीव के नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 20 दिन काम करने के बाद एक अर्ल्ड लीव मिला करेगी. छुट्टी के कैरी फॉरवर्ड नियम को भी जस का तस रखा गया है. कैरी फॉरवर्ड में कुछ दिनों की छुट्टियों के पैसे मिलेंगे जबकि अधिकांश छुट्टियां अगले साल में कैरी फॉरवर्ड हो जाएंगी. लिमिट तो बची छुट्टियों के पैसे मिलेंगे.