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रायपुर

इस परीक्षा के लिए जमा किए हैं आवेदन तो भूल जाइए, अब नहीं होगी परीक्षा और न ही भर्ती

इस परीक्षा के लिए जमा किए है आवेदन तो भूल जाइए, अब न होगी परीक्षा और न ही मिलेगी फीस

रायपुरSep 26, 2018 / 04:28 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh news

इस परीक्षा के लिए जमा किए है आवेदन तो भूल जाइए, अब नहीं होगी परीक्षा और न ही भर्ती

विकास सोनी@रायपुर. राजधानी के डीकेएस (दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेशयालिटी अस्पताल) ने बेरोजगारों से लिए परीक्षा शुल्क के नाम पर लिए गए लाखों रुपए दबा लिए हैं। जबकि तकरीबन 9 माह पहले 22 हजार बेरोजगारों से विभिन्न पदों पर संविदा भर्ती के लिए 3-3 सौ रुपए बतौर डीडी लिए थे। इसके बावजूद प्रबंधन ने आवेदन लेने के बाद न तो अभ्यर्थियों की परीक्षा ली है और न ही नौकरी दी है।
इतना ही नहीं, इन आवेदनों को दरकिनार कर 9 माह बाद तात्कालिक रूप से अस्पताल शुरू करने के लिए प्लेसमेंट कंपनी सहित अन्य वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए कर्मियों की नियुक्तियां की जा रही है। वहीं, डीकेएस प्रबंधन बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर लिए गए आवेदन शुल्क को लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं कर रहा है। दूर-दराज से आए इन 22 हजार बेरोजगारों ने घंटों तक लाइन में खड़े रहकर आवेदन जमा कराया था। पिछले 9 माह से इन युवाओं के लगभग 66 लाख रुपए की राशि प्रबंधन ने अपने खाते में जमा कर रखी है। साथ ही इस रकम के ब्याज के पैसे को भी प्रबंधन ने ही रख लिए हैं।

अब व्यापमं के जरिए भर्ती की योजना
डीकेएस प्रबंधन ने शुरुआती दौर में संविदा कर्मियों के भरोसे अस्पताल संचालन की योजना बनाई थी। कुछ माह बाद आधिकारिक बैठकों के बाद नियमित भर्ती करने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं, अस्पताल को चुनाव से पूर्व शुरू करने के लिए फिर से प्लेसमेंट कंपनी और खुद के माध्यम से संविदा कर्मियों की भर्ती की जा रही है। ऐसे में पूर्व में छले गए युवाओं के साथ फिर से नए कर्मी भी छलावे का शिकार होने जा रहे हैं, क्योंकि कुछ दिनों बाद व्यापमं की तरफ से भर्ती होने पर फिर उनसे रोजगार छिन जाएगा।

जिम्मेदारी से भागने का प्रयास
इस मसले पर जानकारों का कहना है कि कायदे से सभी अभ्यर्थियों को रकम वापस करना प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है। वहीं, प्रबंधन इस मसले से भागने का प्रयास कर रहा है। अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता का कहना है कि हमने बतौर डीडी पैसे लिए हैं, न कि सीधे खाते में। वहीं, इन अभ्यर्थियों के आवेदन तक गायब हो चुके हैं, ऐसे में इस रकम की वापसी का कोई भी रास्ता नहीं दिखाई पड़ता है।

आवेदकों पर चली थीं लाठियां
प्रबंधन की ओर से दिसंबर 2017 में विज्ञापन जारी कर दो दिनों तक आवेदन स्वीकार किए थे। जिसमें आंबेडकर अस्पताल परिसर में हजारों बेरोजगारों की भीड़ लग गई थी। वहीं, इस दौरान भीड़ को काबू करने के लिए प्रबंधन ने पुलिस बल का भी उपयोग किया था, जिसमें व्यवस्था बनाते हुए बेरोजगारों ने लाठियां भी खाई थीं। आंकड़े बताते हैं, कि पहले दिन लगभग 10 और दूसरे दिन 12 हजार अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार किए गए थे। जिनकी न तो स्क्रूटनी की गई और नहीं परीक्षा के लिए बुलाया गया।

कई बार रद्द हो चुकी उद्घाटन की तारीख
प्रबंधन की नाकामी सिर्फ भर्तियों में ही नहीं, बल्कि निर्माण में देरी की और तकनीकी सुविधाओं के विलंब होने से कई बार उद्घाटन की तिथियां भी बदली गई हैं। जबकि खुद मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित सभी आला-अधिकारी देरी को लेकर फटकार लगाते रहे हैं। कुछ स्वास्थ्य मंत्री ने 27 सितम्बर को उद्घाटन की घोषणा की थी, जिसे फिर से बढ़ाकर आधी अधूरी व्यवस्थाओं के साथ 2 अक्टूबर को उद्घाटन की तिथि तय की गई है।

पूर्व में संविदा कर्मियों के भरोसे संचालन की योजना थी, जिसे बाद में आधिकारिक फैसले के बाद व्यापमं के जरिए नियमित भर्ती करने की योजना बनाई गई है। तात्कालिक रूप से प्लेसमेंट कंपनी, एनएचआरएम, डिपार्टमेंट और कुछ संविदा कर्मियों की भर्ती कर व्यवस्था बनाई जा रही है।
डॉ. पुनीत गुप्ता, अधीक्षक, डीकेएस अस्पताल

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