
उपभोक्ता ध्यान दें, अगर आप भी इस तरह से कटवा दिए हैं बिजली कनेक्शन तो नहीं मिलेगा रिफंड
रायपुर. बिजली कंपनी के पारदर्शी ऑन लाइन सिस्टम पर डिवीजन के कर्मचारी पलीता लगाने में नहीं हिचक रहे हैं। भले ही कंपनी के अफसर उपभोक्ताओं को सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं, लेकिन मैदानी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है। सुरक्षा निधि को लेकर उपभोक्ता पशोपेस में हैं, वहीं कनेक्शन डिस्कनेक्ट कराने जैसी स्थितियों में जमा राशि को वापस लेने में चक्कर पर चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि शहर के डिवीजनों के अमले की कार्यशैली पुराने ढर्रे पर ही चल रही है।
बिजली कंपनी बिजली चोरी पकडऩे से लेकर नया कनेक्शन देने और रिफंड वापस करने जैसी समस्याओं का निराकरण करने के लिए एक क्लिक में एक सेक्शन से दूसरे सेक्शन तक रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जा रहे हैं ताकि मामलों का निराकरण जल्द हो सके। उपभोक्ताओं को कछुआ चाल से चलने वाली फाइलों से निजात मिले। इसके विपरीत विभागों में हर छोटी-मोटी समस्याओं के लिए बिना चक्कर लगवाए मामलों का निराकरण करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती है। जब तक कि टेबल टू टेबल संबंधित उपभोक्ता न पहुंचे। खासतौर पर ऐसी तस्वीरें बिजली कंपनी के डिवीजनों में कनेक्शन डिस्कनेक्ट के बाद जमा डिपोजिट राशि को वापस लेने में सामने आई हैं।
सेक्शन में मनमानी
बिजली कंपनी के डिवीजन के बाबुओं की मनमानी पर ब्रेक नहीं लग पाया है। नया कनेक्शन देने की फाइलें तैयार करने से लेकर डिस्कनेक्ट वाले कनेक्शनों की जमा राशि वापसी के मामले को लेकर मनमानी का खेल चल रहा है। ऐसा एक मामला बिजली कंपनी के माना डिवीजन के सेजबहार क्षेत्र का सामने आया है। धीरेंद्र गुप्ता नामक उपभोक्ता ने बताया कि वह विगत दो महीने से रिफंड राशि के लिए भटक रहा है। जबकि उसका पूरा ब्यौरा बिजली कंपनी के ऑनलाइन सिस्टम में है।
आंखमिचौली नहीं रुकी
शहरी एवं ग्रामीण बिजली डिवीजनों में बिजली सप्लाई भी दुरुस्त नहीं है। दिन हो या रात दो से तीन बार बिजली की आंखमिचौली का सिलसिला थम नहीं रहा है। जबकि 14 से 18 फीडऱों को बढ़ाने का दावा किया जाता है।
दूसरे कनेक्शन में समायोजित कराने का दबाव
बिजली कंपनी के डिवीजनों में ऐसे मामलों को शीघ्र निराकरण के बजाय यदि उपभोक्ता का दूसरा कनेक्शन है तो उसमें जमा राशि को हर महीने के बिल में समायोजित करने के लिए दबाव बनाया जाता है। जबकि कनेक्शन लेने के दौरान साफ सावधान रहता हे कि कोई भी उपभोक्ता लाइन कटने के बाद अपनी जमा राशि का कभी वापस ले सकता है। लेकिन जब रिफंड करने की बारी आती है तो आनाकानी का खेल शुरू हो जाता है। इसके पीछे लेन-देन का बड़ा कारण बताया जाता है।
सुरक्षा निधि रिवाइज का दावा
बिजली कंपनी के संधारण एवं भंडार संभाग के अधिकारियों का कहना है कि उपभोक्ताओं से सुरक्षानिधि राशि की मनचाहे तरीके से कटौती नहीं की जाती है। घरेलू कनेक्शन हो या व्यावसायिक एक महीने के बिल के तुलना में डेढ़ महीना के बिल के बराबर सुरक्षानिधि राशि उपभोक्ताओं से पहले ही जमा करा ली जाती है। फिर उस राशि का साल में दो बार रिवाइज किए जाने का प्रावधान है। यदि बिजली बिल कम आया तो सुरक्षानिधि राशि समायोजित किए जाने का दावा किया जा रहा है।
Published on:
09 Oct 2018 05:26 pm
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