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Devshayani Ekadashi: कल है देवशयनी एकादशी, नोट कर लें पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और योग

Devshayani Ekadashi Shubh Muhurt: साल की सभी एकादशी में देवशयनी एकादशी को बहुत अहम माना गया है। इस दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है।

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Devshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है। इस दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में विश्राम (निद्रा) अवस्था में चले जाएंगे और उनके स्थान पर भोलेबाबा पालनहार का कार्यभार संभालेंगे। पंडितों के अनुसार देवशयनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त पर विराम लग जाता है। ऐसा ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णन है। अर्थांत साधु-संतों का चातुर्मास मास प्रारंभ होने जा रहा है। सोमवार को तपस्वी विरागमुनि महाराज ने औषधि का काढ़ा पीकर 121 दिनों तक उपवास तोड़ा।

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महायोग का संयोग बन रहा: पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी 16 जुलाई को रात 8.33 बजे से प्रारंभ होकर 17 जुलाई को रात 9.02 बजे तक रहेगी। व्रत, पूजा उदया तिथि तिथि पर उत्तम है। गुरुवार को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।

इस बार देवशयनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग है। जो बहुत फलदायी है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम चले जाते हैं। इसलिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्य, जैसे:- विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त नहीं रहेगा।

सदर बाजार जैन मंदिर से जयकारे के बीच दादाबाड़ी तक भव्य शोभायात्रा निकली। इसी के साथ रायपुर श्रीसंघ को प्राप्त हुआ दीर्घ तपस्वी विरागमुनि महाराज दादाबाड़ी में चातुर्मास के लिए विराजे। रास्ते भर जिन शासन के जयकारे गूंजते रहे और गुरुभक्ति का उल्लास छाया रहा। वरघोड़े के साथ हाथी, घोड़े और ऊंट की पालकी यात्रा के साथ चली। ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया और कार्यकारी अध्यक्ष अभय कुमार भंसाली ने बताया कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा।

सवा करोड़ नवकार महामंत्र से अनुमोदना

जैन संत विराग मुनि के 121 उपवास के पारणे की अनुमोदना का देशभर में अपूर्व उत्साह रहा। सवा करोड़ नवकार जाप से मुनिश्री के सुखशांता की मंगलकामना की गई। श्री सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष जैन एवं महेंद्र कोचर ने बताया कि मंदिरों, उपाश्रय, स्थानक, घरों व ट्रेनों में भी पद्मासन मुद्रा में सवा करोड़ नवकार महामंत्र का जाप कर अनुमोदना की गई।