
रायपुर . बीएड का पाठ्यक्रम अब जल्द ही इंटीग्रेटेड स्वरूप में नजर आने वाला है, जिससे छात्रों का कुछ समय बच जाएगा। इसके लिए एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) ने पब्लिक नोटिस जारी करने के साथ एक प्रस्ताव एमएचआरडी (केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय) को भेजा है। इसके साथ ही नोटिस के जरिए 2019-20 में नए कॉलेजों के आवेदनों पर एनसीटीई ने रोक लगाई है।
एेसे में जानकार इसके लागू होने के कयास लगा रहे हैं, हालांकि इस पर अभी अंतिम निर्णय बाकी है। शिक्षा संकाय के निदेशक ने बताया कि इस बदलाव के तहत छात्र १२ वीं के बाद सीधे ही इसमें प्रवेश ले सकेंगे, उनका एक वर्ष जाया होने से बच जाएगा। वर्तमान में छात्र १२वीं के बाद स्नातक की उपाधि लेकर ही बीएड में एडमिशन लेते थे, बीएड के बाद एमएड के लिए जा सकेंगे। वर्तमान पैटर्न में उन्हें बीएड करने में पांच वर्ष का समय लगता है, जिसमें स्नातक के तीन व बीएड के दो वर्ष शामिल हैं। इस बदलाव से छात्र स्नातक की डिग्री लेने से बच जाएंगे और चार वर्षों में ही वे बीएड की उपाधि प्राप्त कर सकेंगे।
बनेंगे विषय विशेषज्ञ
शिक्षा संकाय के शिक्षकों के अनुसार इस बदलाव के आने से छात्रों का एक वर्ष तो बचेगा ही, इसके अतिरिक्त उन्हें बिना स्नातक किए बीएड की उपाधि के साथ विषय विशेषज्ञ बनने का मौका मिलेगा। उनके संकाय विशेष का पाठ्यक्रम भी इसमें शामिल करने की सुगबुगाहट चल रही है, जिससे वे 12 वीं के उत्तीर्ण विषयों पर भी अध्ययन कर विशेषज्ञ बन सकेंगे।
व्यवस्था में लगेगा थोड़ा समय
हालांकि एनसीटीई ने इसके लिए सामान्य नोटिस जारी किया है, फिर भी यह लगभग तय माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में बदलाव संभव है। एेसे में जानकारों के अनुसार कई महाविद्यालयों में भी यह कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें उचित व्यवस्था बनाने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
बदलाव लगभग तय
एनसीटीई की ओर से सामान्य नोटिस जारी किया गया है, जिसमें बीएड के पाठ्यक्रम संबंधी बदलाव के संकेत हैं। इससे छात्रों को निश्चित रूप से फायदा मिलेगा। इस इंटीग्रेटेड सिस्टम को सभी महाविद्यालयों में लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है। जैसे ही अंतिम निर्णय आएगा, इस दिशा में कार्रवाई प्रारंभ होगी।
--सीडी आगाशे, निदेशक, शिक्षा संकाय, रविवि
Published on:
24 Mar 2018 12:40 pm
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