
crime on social media
रायपुर. राजधानी में ऑनलाइन ठगी (Online Fruad) करने के लिए ठग फिशिंग (Phishing) का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन ठगी के 80 फीसदी मामलों में फिशिंग के जरिए लोगों को ठगा गया है। इसमें ठग दिनभर में कई लोगों को फोन और मैसेज करते हैं और उन्हें लालच या बैकिंग सुविधाओं में समस्या बताकर अपने जाल में फांसते हैं।
फिर एटीएम कार्ड या बैंक खाता संबंधित पूरी जानकारी लेकर उनके खाते से राशि का आहरण कर लेते हैं। एटीम कार्ड, क्रेडिट कार्ड अपडेट करने, इनाम, लक्की ड्रा, बैंक अधिकारी बनकर, लोन आदि के नाम पर ठगी फिशिंग के जरिए हो रही है। पंडरी इलाके में एक और युवक इसी तरह ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गया। क्रेडिट कार्ड बंद करने के नाम पर ओटीपी पूछकर उन्हें ठग लिया गया।
क्या है फिशिंग
साइबर क्राइम में फिशिंग का मतलब किसी को चारा डालकर फंसाना है। आजकल ऑनलाइन ठगी करने वाले इसका बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें पीड़ित को अनेक तरीकों से फंसाया जाता है। उन्हें ईमेल-मैसेज या कॉल करके लक्की ड्रा फंसने की जानकारी देते हैं। एटीएम-क्रेडिट कार्ड ब्लॉक या अपडेट करने के नाम पर भी फंसाते हैं। इसके अलावा बैंक अधिकारी बनकर फोन करना, ऑनलाइन खरीदारी में ऑफर, बीमा पॉलिसी आदि भी फिशिंग का ही हिस्सा रहता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को किसी तरह उलझाकर उनसे ठगी करना होता है।
चोरी के डाटा से होता है खेल
फिशिंग करने वाले किसी से बैंक ग्राहकों का डाटा खरीदते हैं। इसके बाद ग्राहकों को दिनभर फोन करते हैं। कई ग्राहकों को फोन करने पर कोई न कोई उनके झांसे में आ जाते हैं। इसके बाद उनको ठग लेते हैं। डाटा बेचने का काम दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में आम बात हो गई है। यही वजह है कि ठग जब किसी बैंक ग्राहक को फोन करके उस बैंक का अधिकारी बताते हैं, तो ग्राहक आसानी से भरोसा कर लेता है। कई मामलों में तो ठग ग्राहक का नाम और बैंक खाता नंबर भी बता देते हैं।
शिक्षित हो रहे ज्यादा शिकार
फिशिंग के शिकार ऐसे लोग ज्यादा हो रहे हैं, जो मोबाइल, इंटरनेट, ऑनलाइन खरीदी और भुगतान प्रक्रिया से वाकिफ हैं। इसके बाद महिलाएं व बुजुर्ग हैं, जिनको एटीएम कार्ड का ओटीपी पूछकर ठगा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन फ्रॉड की शहर के हर थाने में डेढ़ दर्जन से ज्यादा शिकायतें हर महीने मिल रही हैं।
क्रेडिट कार्ड बंद कराने के नाम पर ठगी
पंडरी इलाके में रहने वाले प्रताप बहादुर सिंह का एक्सीस बैंक में खाता है। बिना मांग किए बैंक वालों ने उनके घर क्रेडिट कार्ड भेज दिया। क्रेडिट कार्ड को बंद कराने वह बैंक पहुंचा। बैंक वालों ने बताया कि क्रेडिट कार्ड अपने पास रखे रहो, उसका उपयोग मत करना। इसके बाद प्रताप घर लौट आया। फिर दो दिन बाद एक व्यक्ति ने फोन किया और खुद को एक्सीस बैंक का अधिकारी बताते हुए कहा कि क्रेडिट कार्ड बंद करना है, तो मोबाइल ओटीपी नंबर आएगा।
ओटीपी बता देना। कार्ड बंद हो जाएगा। इसके कुछ देर बाद प्रताप के मोबाइल में ओटीपी नंबर आया। उन्होंने ओटीपी नंबर बता दिया। इसके कुछ देर बाद उनके बैंक खाते से दो बार में कुल 75 हजार 750 रुपए निकल गया। इसकी शिकायत पर मोवा पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया है। आरोपी उत्तरप्रदेश के गाजीपुर इलाके से संबंधित हैं। पुलिस उनकी तलाश में लगी है।
इनसे हुई यह चूक
ऑनलाइन ठगी के शिकार हुए प्रताप से यह बड़ी चूक हुई कि उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि जब बैंक वालों ने कार्ड उपयोग करने के लिए मना किया है, तो फिर दोबारा फोन करने वालों को ओटीपी नंबर क्यों बता दिया। बैंक वाले किसी भी खाता या क्रेडिट कार्ड संबंधी प्रक्रिया कार्यालय में ही करते हैं। अलग से फोन करके कुछ नहीं पूछा जाता और न ही बताया जाता है। इसके बावजूद उन्होंने फोन करने वाले पर भरोसा कर लिया।
जागरूकता ही बचाव है
ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहना आवश्यक है। बैंक, एटीएम-क्रेडिट कार्ड और अपनी गोपनीय जानकारियों को सुरक्षित रखकर ही ऑनलाइन ठगी से बचा जा सकता है। बैंक वाले ग्राहकों को फोन नहीं करते हैं। उनका पूरा काम उनके कार्यालय में ही जाकर पूरा करें। फोन में किसी को बैंक खाता, एटीएम कार्ड के संबंध में जानकारी नहीं देना चाहिए।
रायपुर एएसपी-क्राइम के अभिषेक माहेश्वरी ने कहा, रायपुर में अधिकांश ऑनलाइन ठगी फिशिंग से हो रही है। साइबर क्रिमनल इसका इस्तेमाल ठगी के लिए ज्यादा कर रहे हैं। एटीएम, क्रेडिट कार्ड, लक्की ड्रा, बीमा पॉलिस आदि के नाम पर ऑनलाइन ठगी फिशिंग के जरिए हो रही है।
Published on:
03 Oct 2020 02:09 pm
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