
पायलट प्रोजेक्ट: इंदौर मॉडल पर होगी रायपुर शहर की सफाई
महापौर मीनल चौबे ने शहर की साफ-सफाई, सुरक्षा और विकास कार्यों को लेकर एमआईसी में बड़ा फैसला लिया। पहली बार जुलूस, धरना पंडाल की अनुमति देने के लिए नगर निगम 500 से 1000 रुपए शुल्क लेगा। प्रॉपर्टी नामांतरण शुल्क 800 रुपए तय किया है। साथ ही शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए इंदौर मॉडल पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम होगा।
मुख्यालय में मंगलवार को एमआईसी बैठक में 22 एजेंडों को स्वीकृति दी गई। खासतौर पर स्वच्छता प्लान पर 15वें वित्त आयोग के मद से 27 करोड़ 45 लाख रुपए के विकास कार्य कराने का निर्णय लिया गया। इसके लिए 244 डोर-टू-डोर कचरा वाहनों के साथ निरीक्षण प्रभारियों को नियुक्ति होगी। नगर निगम के 536 कर्मचारियों और अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल किया है। महापौर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी एमआईसी सदस्य, निगम आयुक्त विश्वदीप, अपर आयुकत, उपायुक्त सहित विभाग प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। तीन घंटे तक चली बैठक में एजेंडेवार चर्चा करते हुए स्वीकृति दी गई।
बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए महापौर ने कहा कि बैठक में राजधानी के समग्र विकास के एजेंडों को स्वीकृति दी गई। राष्ट्रीय स्तर पर राजधानी रायपुर को स्वच्छता रैंकिंग में एक नंबर पर लाने के लिए कई स्तर पर ठोस निर्णय लिए। इंदौर का जायजा लेने पार्षद दलों के साथ ही अधिकारी भी जाते हैं। अब वहां के सिस्टम को लागू करने के लिए सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट तहत काम होगा। महिलाओं और बच्चों का खासा ख्याल रखा गया है। सखी सेंटर के साथ ही फीडिंग रूम का निर्माण कराया जाएगा। नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है।
536 अधिकारी और कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना में शामिल
-1 नवंबर 2004 से 1 अगस्त 2025 के बीच नियुक्त 536 अधिकारी व कर्मचारी सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) योजना में शामिल किए जाएंगे। एनपीएस से ओपीएस में स्थानांतरण होगा और निगम द्वारा सीपीएफ में जमा राशि को वापस निगम कोष में लिया जाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन
15वें वित्त आयोग के अंतर्गत 27 करोड़ 45 लाख रुपए के 20 कार्यों को स्वीकृति।
Published on:
24 Sept 2025 12:39 am
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