
जैन समाज के प्रवीण ऋषि ने कहा- कथा का लक्ष्य जीवन में बदलाव लाना इसलिए सब इसे मन मुताबिक सुनते हैं
CG Raipur News : रायपुर. जीवन में बदलाव लाना, यही किसी कथा का लक्ष्य होता है। जिनके मन में जैसा बनने की तमन्ना होती है, वो वैसी कथा सुनते हैं। जिन्हें राजनीति करनी है, वे राजकथा सुनते हैं। खेल में रूचि रखने वाले खेल कथाएं सुनते हैं। जिन्हें महाभारत अच्छा लगता है, वे महाभारत सुनते हैं। जिन्हें जीवन में महावीर को उतारना है, वे महावीर की कथा सुनते हैं। टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने ये बातें कही।
उन्होंने कहा, मंजिल के आधार पर रास्ते खोजे जाते हैं। मंजिल ही क्लीयर न हो तो इंसान फालतू के रास्तों पर चलने लगता है। जीवन की ये विडंबना ये नहीं है कि हम रास्ते पर नहीं चलते या सही रास्ते पर नहीं चलते। जीवन की सबसे बड़ी विडंबना ये है कि लोग बिना मंजिल चुने रास्ता चुनते हैं। गोशालिक और इंद्रभूति गौतम एक सी तपस्या करते हैं। एक की तपस्या उसे नरक ले जाती है। दूसरे के लिए मोक्ष के दरवाजे खुल जाते हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि मंजिल कैसे चुनें? एक रास्ता ये हो सकता है कि कुछ ऐसा सोचें जिसमें आपके सारे लक्ष्य पूरे हो जाएं। यह विशेषता मरीचि के पास थी। दूसरा तरीका है, कुछ ऐसा करिए जिससे बाकी सभी मंजिलों से नाता टूट जाए।
गौतम लब्धि फाउंडेशन का अधिवेशन 5, 6 को
छत्तीसगढ़ श्रणण संघ के अध्यक्ष कमल पटवा और रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया, गौतम लब्धि फाउंडेशन का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन 5 और 6 अगस्त को पटवा भवन में होगा।
इसमें शामिल होने फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नाहर, राष्ट्रीय मंत्री नितिन सखलेचा, राष्ट्रीय निमंत्रख सुनील नाहर भी रायपुर पहुंच रहे हैं।
सारे विवाद की रुपया-पैसा, इसे छोड़ा तो जीवन स्वर्ग
एमजी रोड के जैन दादाबाड़ी में चल रहे प्रवचन में शुक्रवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने घर को स्वर्ग कैसे बनाएं विषय पर कहा, घर जब संयमित और संतुलित चलता है तो स्वर्ग बन जाता है। आज घरों में भाई-भाई, भाई-बहन, चाचा-भतीजा के बीच इतना विवाद है कि कोर्ट जाने से नहीं चूकते। इसकी वजह संपत्ति है। आज सारे विवाद रुपए-पैसे, जमीन-जायदाद को लेकर ही हो रहे हैं। बंटवारा तो एक व्यवस्था है। ज्यादा का मोह छोड़ दिया तो घर स्वर्ग बन जाएगा। वैसे भी आपको सब चीज छोड़कर एक दिन इस दुनिया से जाना है। आंखें बंद होगी और सबकुछ खत्म।
कर्मों का उदय होता है तो परिणाम भुगतने पड़ते हैं
विमलनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट में चल रहे प्रवचन में श्वेत तिलक महाराज ने कहा, कर्म से बचिए। कर्मों का जब उदय होता है तो परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं। हमारे दुख की वजह कोई और नहीं है। हमारे अपने कर्म ही हैं। आज हम अपने बच्चों को क्या संस्कार दे रहे हैं? क्या हमें पुण्य-पाप कर्म पर विश्वास है? आज हम सब भौतिकता की ओर बढ़ रहे हैं। जीवन का केंद्र पैसा, सुख, सुविधा, सामग्री है। भोगों के इस युग में संस्कारों को बचाना जरूरी है। इसमें माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है।
Published on:
29 Jul 2023 10:39 am
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