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World Environment Day: इंजीनियरिंग छात्रों का प्रोजेक्ट, जो करेगा एयर क्वालिटी की मॉनीटरिंग

Raipur Environment Day: रविवि की रिसर्चर निशा गुप्ता और ट्रिपलआईटी के सीएस छात्रों से उनके प्रोजेक्ट के बारे में जाना। निशा एमाइलेज एंजाइम केमिकल पर काम कर रही हैं। वहीं इंजीनियरिंग छात्र एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम डेवलप कर रहे हैं।

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World Environment Day: Project of engineering students, will complete the project

World Environment Day: इंजीनियरिंग छात्रों का प्रोजेक्ट, जो करेगा एयर क्वालिटी की मॉनीटरिंग

World Environment Day: रायपुर। आज वर्ल्ड एनवायर्नमेंट डे है। ऐसे कई रिसर्च किए जा रहे हैं जिसमें ग्रीनरी का ध्यान रखा गया है। हमने रविवि की रिसर्चर निशा गुप्ता और ट्रिपलआईटी के सीएस छात्रों से उनके प्रोजेक्ट के बारे में जाना। निशा एमाइलेज एंजाइम केमिकल पर काम कर रही हैं। वे एग्रीकल्चर वेस्ट से एंजाइम बना रही हैं। वहीं इंजीनियरिंग छात्र एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम डेवलप कर रहे हैं। इससे यह पता चल पाएगा कि किस जगह की हवा कितनी प्रदूषित है।

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1100 का प्रोजेक्ट बताएगा हवा कितनी खराब

कंप्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र मानसरोवर बजरंग, प्रांजल वर्मा और आर्यन चंद्राकर ने बताया, वायू प्रदूषण के चलते हर साल दुनियाभर में 6.5 मिलियन मौतें होती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए हमने एक मॉडल बनाया जो सेंसर बेस्ड है। यह बताएगा कि कौन से इलाके की एयर क्वालिटी कैसी है?

इतना ही नहीं इससे यह भी पता चलेगा कि वहां रहने से कौन-कौन (World Environment Day) सी बीमारियां होती हैं। प्रोजेक्ट से किसी स्थान में हवा की नमी भी जान सकेंगे। इस प्रोजेक्ट को हमने 1100 रुपए में तैयार किया है। गाइड डॉ. वेकन्ना सर का रहा।

ऐसे करेगा काम

एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम में तीन सेंसर यूज हुए हैं। एमक्यू-135 हवा की गुणवत्ता बताता है। डीएचटी-11 से टेंप्रेचर और ह्यूमिडिटी पता चलती है। इसके अलावा माइक्रोकंट्रोलर ईएसपी-8266 का काम डेटा (World Environment Day) कलेक्शन के बाद एनॉलेसिस कर क्लाउड में सेंट करना होता है। जो डेटा मिलता है वह बॉयनरी में होता है जिसे वह ऐसी लैंग्वेज में कन्वर्ट करता है जिसे हम समझ सकें।

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राइस ब्रान से बनाया एंजाइम

निशा गुप्ता ने बताया, एमाइलेज एंजाइम बनाने के लिए केमिकल का यूज किया जाता है। केमिकल महंगे होते हैं। उसे अगर नदी में छोड़ दिया जाए तो न सिर्फ मछलियां बल्कि वहां पानी पीने वाले जीव-जंतु भी मर सकते हैं। हमारा मकसद है सस्टेनेबिलिटी। कोई भी इंडस्ट्री उसी प्रोडक्ट को लेगी एंजाइम को सस्ते में प्रोड्यूस करे। इसे लार्ज स्केल पर भी प्रोड्यूस किया जा सकता है। वेस्ट मटेरियल को हम जलाते हैं जो कि पर्यावरण और इंसान दोनों के लिए नुकसानदायक है। खतरनाक गैस भी निकलती है। इसलिए ठोस कचरे को बॉयो मटेरियल की तरह यूज कर रहे हैं।

क्या है एंजाइम?

एमिलेज एक एंजाइम है जो स्टार्च को ग्लूकोज और माल्टोज में तोड़ देता है। बॉयोलॉजिकल मॉलिक्यूल होता है जिसे आप प्रोटीन बोल सकते हैं। जैसे बॉडी की हार्टबीट बंद तो सब बंद। वैसे ही किसी भी इंडस्ट्री के लिए एंजाइम जरूरी है। बॉडी में भी बहुत से एंजाइम होते हैं। एक तरह से एंजाइम बॉयोलॉजिकल मॉलिक्यूल है जिसका हर जगह यूज होता है।

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