राजस्व रिकार्ड में वह भूमि आज भी कृषि या सरकारी है। बोर्ड के नाम पर भी नहीं हुआ है। इसके चलते इन भूमि पर बने आवास फ्री होल्ड नहीं हो पा रहे हैं। इससे कई लोग प्रभावित हैं। वे हाउसिंग बोर्ड में आवेदन कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी फ्री होल्ड नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल एनआरडीए, आरडीए का भी है।
हाउसिंग बोर्ड के डिवीजन-1 में टाटीबंध, हीरापुर आदि इलाके शामिल हैं। इन इलाकों में हाउसिंग बोर्ड की अलग-अलग योजनाओं के तहत कई आवासीय कॉलोनियां 15-20 साल पहले विकसित की गई हैं। इनमें आवास खरीदने वाले अब अपने मकान को फ्री होल्ड कराने के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन तकनीकी कारणों से यह नहीं हो पा रहा है। हाउसिंग बोर्ड के आवासीय प्रयोजन के लिए जमीनों का डायवर्सन नहीं हुआ है।
शहर में हाउसिंग बोर्ड ही नहीं आरडीए और एनआरडीए की कई आवासीय परियोजनाएं कृषि, सरकारी व निजी भूमि पर विकसित हुई हैं। आवास निर्माण के समय इन जमीनों का डायवर्सन राजस्व विभाग ने नहीं किया और न ही हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने पहल की। इसके चलते मामला अटका हुआ है।
फ्री होल्ड नहीं होने का मामला रायपुर का ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में यही हो रहा है। वर्तमान में 3 हजार से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। वे अपने मकानों को फ्री होल्ड नहीं करवा रहे हैं।
कई पुरानी कॉलोनियां हैं, जिसकी भूमि का प्रयोजन आज तक नहीं बदला है। इसलिए फ्री होल्ड में दिक्कत आ रही है। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों से चर्चा हुई है। जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। राजस्व रिकार्ड में भूमि का प्रयोजन सुधारा जाएगा।
-कीर्तिमान सिंह राठौर, अपर कलेक्टर, रायपुर
Published on:
17 Jun 2025 01:07 am