मांठ के सरपंच सुरेंद्र कुमार वर्मा कहते हैं कि तीनों प्रभावित गांवों ने लिखित में अपनी शर्तें सौंप दी हैं। कंपनी से उन्हें लिखित में आश्वासन चाहिए, ताकि भविष्य में अगर वे शर्तें तोड़ें तो उनके पास अदालत जाने का विकल्प रहे। पानी, पर्यावरण और जिनकी जमीन बिक गई है उनके परिवार के लिए रोजगार बड़ा मुद्दा है, जिससे समझौता नहीं किया जा सकता।